बिना परमिट के लक्षद्वीप जाना इम्पॉसिबल! जानिए कितना आएगा खर्च और क्या है नियम
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मालदीव बॉयकॉट का मुद्दा उठने के बाद लोग लक्ष्द्वीप जाने का प्लान बना रहे हैं. अगर आप भी वहां जाने के बारे में सोच रहे हैं तो जान लीजिए कि किन चीजों की आवश्यकता होगी और कितना खर्च आएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की लक्षद्वीप के शांत द्वीपसमूह की हालिया यात्रा ने भारत में एक अलग दिलचस्पी पैदा कर दी है. टूरिज्म सेक्टर्स भी लक्षदीप यात्रा (Lakshadweep Tour) को लेकर काफी एक्टिव हो चुके हैं. कई ट्रैवल कंपनियां और एयरलाइंस ने ऑफर देना भी शुरू कर दिया है. यहां पर एक बेहतर डेस्टिनेशन प्लान किया जा सकता है.
अगर आप भी लक्षद्वीप (Lakshadweep) जाने के बारे में सोच रहे हैं तो यहां के नियम, परमिट और कुल खर्च के बारे में विस्तार से जान लेना चाहिए. इसके अलावा सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन को भी गौर से देख लेना चाहिए. लक्षदीप जा रहे हैं और परमिट नहीं है तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं.
क्या है लक्षदीप जाने का नियम?
1967 में लक्षद्वीप (Lakshadweep), मिनिकॉय और अमीनदीवी द्वीप समूह के लिए कुछ नियम और शर्त बनाई गई थी. इसके तहत इन जगहों पर नहीं रहने वाले लोगों को एंट्री लेने और ठहरने करने के लिए परमिट लेना होगा. हालांकि सरकारी आधिकारियों, सैनिकों और द्वीप पर जाने या काम करने वाले उनके परिवारों को परमिट की आवश्यकता नहीं है. दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों के लिए लक्षद्वीप समेत भारत में एंट्री के लिए वैध पासपोर्ट और भारतीय वीजा रखना अनिवार्य है.
परमिट लेने के लिए कितना आएगा खर्च?
लक्षद्वीप पर्यटन (Lakshadweep Travel) की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, पूर्व अनुमति का उद्देश्य स्वदेशी अनुसूचित जनजातियों की सुरक्षा करना है, जो क्षेत्र की आबादी का लगभग 95 फीसदी हैं. 1967 के नियमों के अनुसार एंट्री परमिट फॉर्म ऑनलाइन (Lakshadweep Permit Form) भरा जा सकता है और इसे प्रशासक के पास जमा करना आवश्यक है. आवेदन शुल्क प्रति आवेदक 50 रुपये है, जिसमें 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 100 रुपये और 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्तियों के लिए 200 रुपये का एक्स्ट्रा चार्ज है.
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