![बारिश में ढहा मिट्टी का घर तो शौचालय को बनाया ठिकाना, दर्दभरी है बंगाल के पुरुलिया की मिथिला महतो की कहानी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/6619cc7d9d38f-mithila-mahato-13062049-16x9.jpg)
बारिश में ढहा मिट्टी का घर तो शौचालय को बनाया ठिकाना, दर्दभरी है बंगाल के पुरुलिया की मिथिला महतो की कहानी
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मिथिला महतो के पास मिट्टी से बना एक छोटा सा घर था, लेकिन पिछले साल भारी बारिश के दौरान ये ढह गया. इसके बाद मिथिला महतो बेघर हो गईं. असहाय महिला ने अपनी स्थानीय ग्राम पंचायत से संपर्क किया, लेकिन उन्हें रहने के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं मिला.
मिथिला महतो... उम्र 66 साल... ठिकाना पश्चिम बंगाल का पुरुलिया जिला. यूं तो मिथिला महतो पुरुलिया की रहने वाली हैं, लेकिन उनके रहने की जगह की बात करें तो आप सन्न रह जाएंगे. जेहन में पहला सवाल यही उठेगा कि 2024 में हम किस भारत में रह रहे हैं? क्योंकि आज के इस युग में भी मिथिला महतो के पास रहने के लिए घर नहीं है. वह पिछले एक साल से सरकार द्वारा बनाए गए शौचालय में रह रही हैं. एक साल पहले भारी बारिश के कारण उनका मिट्टी से बना घर ढह गया था. ऐसे में बुजुर्ग महिला के लिए स्वच्छता बनाए रखने के बजाय एक छोटे आश्रय की व्यवस्था करना ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया. लिहाजा उन्होंने 4 गुणा 3 फीट के इस शौचालय के अंदर रहना चुना,.
मिथिला महतो पुरुलिया के दुर्कू ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले सुंदराडी गांव की रहने वाली हैं. उनके पति का कई साल पहले निधन हो गया था. फिर उनकी दोनों बेटियों की शादी हो गई और वे अपने ससुराल चली गईं. तब से मिथिला महतो अकेली रहती हैं. मिथिला महतो के पास मिट्टी से बना एक छोटा सा घर था, लेकिन पिछले साल भारी बारिश के दौरान ये ढह गया. इसके बाद मिथिला महतो बेघर हो गईं. असहाय महिला ने अपनी स्थानीय ग्राम पंचायत से संपर्क किया, लेकिन उन्हें रहने के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं मिला. मजबूरी में बुजुर्ग ने सरकार द्वारा बनाए गए शौचालय में शरण ली.
मिथिला ने सुनाई दर्दभरी दास्तां
टॉयलेट के अंदर सीधा बैठना तो मुश्किल होता ही है, वहां सोना तो और भी कष्टकारी होता है. फिर भी ये बुजुर्ग महिला छोटे से शौचालय के अंदर अपने दिन गुजार रही हैं. मिथिला महतो का दावा है कि उनकी ओर से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद प्रशासन उनकी पीड़ा नहीं सुन रहा. जीवन के इस मोड़ पर मिथिला महतो ने आजतक से कहा कि मैं पिछले एक साल से इस बाथरूम में सो रही हूं. मैं और क्या कर सकती हूं? मैंने स्थानीय पंचायत को बताया, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
स्थानीय पंचायत प्रधान ने जताई हैरानी
स्थानीय पंचायत प्रधान चंदमोनी कोरानुडी को जब हमसे उस असहाय महिला के बारे में पता चला तो वे आश्चर्यचकित रह गईं. उन्होंने कहा कि मुझे इस घटना की जानकारी नहीं थी. किसी ने भी मुझे उनके बारे में नहीं बताया. मुझे याद नहीं आ रहा कि उन्होंने मुझसे घर के लिए अनुरोध किया था या नहीं. वहीं, पुरुलिया जिला परिषद प्रमुख निवेदिता महतो ने कहा कि मुझे कुछ दिन पहले घटना के बारे में पता चला. जैसे ही मुझे जानकारी हुई मैंने उसके लिए एक तंबू की व्यवस्था की. हम फिलहाल उनके लिए घर की व्यवस्था नहीं कर सकते. केंद्रीय सरकार ने आवास योजना का पैसा देना बंद कर दिया है. मैं मानती हूं कि पंचायत सदस्य कुछ पहल कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. मैं इस मामले को देख रही हूं.
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