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बाबर: मध्य एशिया में वर्चस्व की लड़ाई से भारत में मुग़ल सल्तनत की स्थापना तक
BBC
बाबर ने जिस मुग़ल सल्तनत की स्थापना की थी, बुलंदी के दिनों में उसके पास दुनिया की एक चौथाई से अधिक दौलत थी. इस सल्तनत का क्षेत्रफल अफ़ग़ानिस्तान समेत लगभग पूरे उपमहाद्वीप पर फैला हुआ था. आज बाबर का जन्मदिन है.
अंग्रेजी के मशहूर उपन्यासकार ईएम फोस्टर लिखते हैं कि आधुनिक राजनीतिक दर्शन के आविष्कारक मैकावली ने शायद बाबर के बारे में नहीं सुना था. अगर सुना होता तो 'द प्रिंस' नामक पुस्तक लिखने के बजाय उनके (बाबर के) जीवन के बारे में लिखने में उनकी दिलचस्पी ज़्यादा होती.
बाबर एक ऐसा किरदार थे जो न केवल सफल थे, बल्कि सौंदर्य बोध और कलात्मक गुणों से भी भरपूर थे. मुग़ल सल्तनत के संस्थापक ज़हीर-उद-दीन मोहम्मद बाबर (1483-1530) को जहां एक विजेता के रूप में देखा और वर्णित किया जाता है, वहीं दूसरी ओर उन्हें एक बड़ा कलाकार और लेखक भी माना जाता है.
एक इतिहासकार स्टीफन डेल बाबर के बारे में लिखते हैं कि यह तय कर पाना मुश्किल है कि बाबर एक बादशाह के रूप में अधिक महत्वपूर्ण हैं या एक कवि और लेखक के रूप में.
आज के भारत में, बाबर को बहुसंख्यक हिंदू वर्ग की एक विशेष विचारधारा के लोग आक्रमणकारी, लुटेरा, सूदखोर, हिंदू दुश्मन, अत्याचारी और दमनकारी बादशाह भी मानते हैं. यह मुद्दा यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की सत्तारूढ़ पार्टी, बाबर ही नहीं, मुग़ल सल्तनत से जुड़ी हर चीज़ के ख़िलाफ़ नज़र आती है.
आज से लगभग पांच सौ साल पहले, बाबर ने एक सल्तनत की स्थापना की जो अपने आप में बेनज़ीर है. उन्होंने 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोधी को हराया और भारत में एक नई सल्तनत की स्थापना की. अपने बुलंदी के दिनों में इस सल्तनत के क़ब्ज़े में दुनिया की एक चौथाई से अधिक दौलत थी. इस सल्तनत का क्षेत्रफल अफ़ग़ानिस्तान समेत लगभग पूरे उपमहाद्वीप पर फैला हुआ था.