'बाइक टैक्सी की अनुमति नहीं दी, लगता है दिमाग ही नहीं लगाया'...राज्य सरकार पर भड़का बॉम्बे HC
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जस्टिस जीएस पटेल और एसजी डिगे की पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि किसी ने भी बाइक राइडर सिस्टम की अनुमति देकर यातायात की भीड़ को कम करने और प्रदूषण में कमी जैसे फायदे पर अपना दिमाग ही नहीं लगाया है. हम उम्मीद करते हैं कि बाइक टैक्सीज को कुछ सुरक्षा आवश्यकताओं के अधीन चलाया जाएगा जिनका पालन किया जाना चाहिए.
बाम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि बाइक टैक्सी को लाइसेंस जारी करने के बारे कब तक फैसला लिया जाएगा. कोर्ट ने हैरानी जताई कि महाराष्ट्र प्रशासन ने अब तक इसपर दिमाग क्यों नहीं लगाया था. दरअसल, पीठ बाइक टैक्सी एग्रीगेटर कंपनी रैपिडो द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में राज्य सरकार की ओर से 29 दिसंबर 2022 को जारी की गई अधिसूचना को चुनौती दी गई है. इस अधिसूचना के तहत राज्य सरकार ने याचिकाकर्ता को बाइक टैक्सी के लिए लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था.
'बाइक टैक्सी के फायदों पर दिमाग ही नहीं लगाया'
जस्टिस जीएस पटेल और एसजी डिगे की पीठ ने कहा, ऐसा लगता है कि किसी ने भी बाइक राइडर सिस्टम की अनुमति देकर यातायात की भीड़ को कम करने और प्रदूषण में कमी जैसे फायदे पर अपना दिमाग ही नहीं लगाया है. हम उम्मीद करते हैं कि बाइक टैक्सीज को कुछ सुरक्षा आवश्यकताओं के अधीन चलाया जाएगा जिनका पालन किया जाना चाहिए. लेकिन इस तरह से पूरे प्रस्ताव को खारिज करने का शायद ही कोई कारण हो.
'अंतिम नीति बनने तक अस्थायी व्यवस्था क्यों नहीं'
कोर्ट ने कहा- मुंबई के बाहर, और वास्तव में मुंबई के उत्तरी उपनगरीय इलाके में भी, दोपहिया परिवहन अब तक आदर्श है और यह बड़ी सुविधा का विषय है. हमें कोई कारण नहीं दिखता है कि सरकार को प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार क्यों नहीं करना चाहिए."
बता दें कि सरकार ने कहा था कि बाइक टैक्सियों के लाइसेंस पर राज्य की कोई नीति नहीं है और बाइक टैक्सियों के लिए कोई किराया संरचना नीति भी नहीं है. हालांकि, पीठ ने राज्य से दोपहिया परिवहन के लाभों पर विचार करने के लिए कहा है. पीठ ने यह भी सवाल किया कि अंतिम नीति बनने तक अस्थायी व्यवस्था क्यों नहीं की जा सकती?
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