
बांग्लादेश बनने की वजह क्या थी- भाषा, संस्कृति, अन्याय या कोई साज़िश?
BBC
16 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना के हाथों पाकिस्तान की हार के साथ बांग्लादेश बनने की घटना को गुरुवार को 50 साल हो जाएंगे. आख़िर बांग्लादेश बना क्यों?
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल मार्च में बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर ढाका दौरे पर थे और तब वहां की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना से मुलाक़ात के दौरान दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि वो 6 दिसंबर को 'मैत्री दिवस' मनाएंगे.
इस दिन का महत्व जानने के लिए हमें 50 साल पीछे जाना होगा. भारत ने 6 दिसंबर, 1971 को बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता दी थी. हालांकि तब वो पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा था.
उसके केवल 10 दिन बाद पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना के कमांडर लेफ़्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुल्ला ख़ान नियाज़ी ने भारतीय सेना के लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के साथ आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करके अपनी हार मान ली थी.और इस तरह बांग्लादेश औपचारिक तौर पर दुनिया के नक़्शे पर एक नए देश के रूप में उभरकर सामने आया था.
यह कहना ग़लत नहीं होगा कि दक्षिण एशिया के देशों में बांग्लादेश के सबसे क़रीबी संबंध भारत के साथ ही हैं. सिर्फ़ व्यापार के स्तर पर बात करें तो दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर का कारोबार होता है, जो पूरे दक्षिण एशिया में सबसे ज़्यादा है.
पाकिस्तान में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकों के अध्ययन से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि बांग्लादेश और भारत के बीच के इतने घनिष्ठ संबंध और पूर्वी पाकिस्तान के उससे अलग होने के क्या कारण हैं.