बांग्लादेश के 50 साल: जब भारत की क़ैद से फ़रार होने के लिए पाकिस्तानी सैनिकों ने रसोई के चाकू से खोद डाली सुरंग
BBC
सैनिकों की जान के ख़तरों को देखते हुए उन्हें भारत के युद्धबंदी शिविरों में रखा गया. ऐसा एक शिविर उत्तर प्रदेश के फ़तेहगढ़ कैंट में था. लेकिन एक दिन वहां से पांच पाकिस्तानी सैनिक फ़रार हो गए. पढ़िए पूरी कहानी.
पूर्वी पाकिस्तान के युद्धबंदी सैनिकों को लेकर जा रही ट्रेन जब भारत के एक स्टेशन पर रुकी, तब भारतीय सेना के एक अधिकारी डिब्बे में घुसे. घुसते ही उन्होंने ऊंची आवाज़ में पूछा, "किसी को अपनी करेंसी बदलवानी है तो बताए."
उनके इतना कहते ही उस डिब्बे में मौजूद पाकिस्तानी सेना के कई अधिकारी अपनी जेबें टटोलने लगे. जेबें टटोलने के बाद उन्हें जो पैसे मिले, उसे उन्होंने भारतीय सेना के हाथों भारत की करेंसी में बदलवा लिया.
वो ट्रेन उस वक़्त पूर्वी पाकिस्तान से लगी भारतीय सीमा के बांगन से उत्तर प्रदेश की ओर जा रही थी. उस ट्रेन में पाकिस्तानी सेना के अधिकारी मेजर तारिक़ परवेज़ भी सवार थे.
मेजर तारिक़ परवेज़ ने पैसे लेकर उसे अपनी शर्ट के अलग-अलग हिस्सों में छिपा लिया. हालांकि उनके साथी सैन्य अधिकारी खाने-पीने की चीज़ें ख़रीद रहे थे, लेकिन परवेज़ अपने दिमाग़ में कुछ और ही योजना बना रहे थे.
यह बात दिसंबर 1971 की है. अभी कुछ ही दिनों पहले पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसमर्पण के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. उसके बाद बांग्लादेश अस्तित्व में आया था.