![बांग्लादेश के शून्य से शिखर तक पहुँचने की कहानी](https://ichef.bbci.co.uk/news/1024/branded_hindi/11195/production/_122273007_gettyimages-1237284523.jpg)
बांग्लादेश के शून्य से शिखर तक पहुँचने की कहानी
BBC
''बांग्लादेश ने केवल 18 डॉलर से शुरुआत की थी. पाकिस्तानी जाने से पहले केंद्रीय बैंक के ढाका कार्यालय में 18 डॉलर छोड़ गए थे. लेकिन इस स्थिति में भारत बड़ी मदद के साथ आगे आया.''
स्वतंत्र बांग्लादेश के नेता शेख़ मुजीब-उर रहमान पाकिस्तान से रिहा होने के तुरंत बाद आठ जनवरी 1972 को लंदन पहुँचे.
10 जनवरी को ढाका के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने जानना चाहा, ''नुरुल इस्लाम कहां हैं? उन्हें खबर भिजवाइए.''
ढाका को एक ज़रूरी संदेश भेजा गया कि नूरुल इस्लाम उनके आने तक इंतज़ार करें.
नूरुल इस्लाम, जिन्हें शेख़ मुजीब ढूंढ रहे थे, उनके सबसे क़रीबी और सबसे विश्वसनीय आर्थिक सलाहकारों में से एक थे. हार्वर्ड में पढ़े लिखे प्रोफ़ेसर नूरुल इस्लाम उस समय अमेरिका में विश्व बैंक की नौकरी करने की तैयारी में थे.
नुरुल इस्लाम ने कहा, "मैं तब अपने परिवार को लेने के लिए ढाका आया था. लेकिन फिर मैं नहीं लौट सका. बंगबंधु ने मुझसे कहा, आपको योजना आयोग की ज़िम्मेदारी संभालनी होगी."