बहुसंख्यकवादी प्रवृत्तियां जब भी सिर उठाती हैं, उस पर सवाल उठाया जाना चाहिए: जस्टिस चंद्रचूड़
The Wire
एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि अधिनायकवाद, नागरिक स्वतंत्रता पर रोक, लैंगिकवाद, जातिवाद, धर्म या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव खत्म करना, पवित्र वादा है, जो भारत को संवैधानिक गणराज्य के रूप में स्वीकार करने वाले हमारे पूर्वजों से किया गया था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि सरकार की चुनावी वैधता के बावजूद संविधान के अनुरूप राज्य की प्रत्येक कार्रवाई का आकलन किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हमारे संवैधानिक वादे की पृष्ठभूमि के तहत बहुसंख्यकवादी प्रवृत्तियों पर सवाल उठाया जाना चाहिए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अधिनायकवाद, नागरिक स्वतंत्रता पर रोक, लैंगिकवाद, जातिवाद, धर्म या क्षेत्र के आधार पर भेदभाव खत्म करना, पवित्र वादा है, जो भारत को संवैधानिक गणराज्य के रूप में स्वीकार करने वाले हमारे पूर्वजों से किया गया था.’ वह अपने पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ की 101वीं जयंती पर शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली महाराष्ट्र की संस्था शिक्षण प्रसार मंडली (एसपीएम) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ‘संविधान के रक्षक के रूप में छात्र’ विषय पर बोल रहे थे. जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश थे.More Related News