![बयानबाजी ने कराई राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से विदाई, पटना में बैठी JDU लीडरशिप को अखर गया केसी त्यागी का स्टैंड!](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202409/66d4178451c97-kc-tyagi-012803693-16x9.jpeg)
बयानबाजी ने कराई राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से विदाई, पटना में बैठी JDU लीडरशिप को अखर गया केसी त्यागी का स्टैंड!
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केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए हैं. इसके लिए उन्होंने पार्टी नेताओं से चर्चा तक नहीं की. विदेश नीति, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री, एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समेत कई मुद्दों पर उन्होंने अपने निजी विचार पार्टी के विचारों की तरह बताकर पेश किए, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा.
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के सीनियर नेता केसी त्यागी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दे दिया है. पार्टी ने उनकी जगह राजीव रंजन को राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी है. समाजवादी आंदोलन से जुड़े रहे केसी त्यागी जेडीयू और नीतीश कुमार के लिए अहम माने जाते हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शरद यादव से लेकर ललन सिंह तक जेडीयू का अध्यक्ष कोई भी रहा हो, केसी त्यागी को हमेशा से कोर टीम में शामिल किया जाता रहा है. अब सवाल उठता है कि आखिर केसी त्यागी की राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से विदाई क्यों हुई?
ऐसा भी माना जा रहा है कि दिल्ली में बैठकर हर मुद्दे पर टिप्पणी करना भी केसी त्यागी को भारी पड़ गया क्योंकि इससे पटना में बैठी जेडीयू की की लीडरशिप बर्दाश्त न कर सकी क्योंकि वो हर मुद्दे पर अपनी बेबाक राय रखते थे. उनके बयानों से ऐसा लग रहा था कि जेडीयू और एनडीए की राय अलग-अलग है. सूत्रों ने बताया कि बीजेपी ने एनडीए में मतभेदों की खबरों को दबाने के लिए अपने सहयोगी दलों से समन्वय बनाए रखने को कहा था. इसी को लेकर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और संजय झा ने उनसे मुलाकात की थी और उनसे राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद छोड़ने के लिए कहा था. हालांकि पार्टी की ओर से जो प्रेस रिलीज जारी की गई है, उसमें कहा गया है कि उन्होने निजी वजह से जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से इस्तीफा दिया है. हालांकि केसी त्यागी जेडीयू के विशेष सलाहकार भी हैं, लेकिन उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया है या नहीं. इसको लेकर अभी क्लीयर नहीं हुआ है.
JDU में फेरबदल: केसी त्यागी का राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा, राजीव रंजन संभालेंगे जिम्मेदारी
राजनीतिक जानकारों की मानें तो केसी त्यागी ने कई मुद्दों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिए हैं. इसके लिए उन्होंने पार्टी नेताओं से चर्चा तक नहीं की. विदेश नीति, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री, एससी-एसटी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला समेत कई मुद्दों पर उन्होंने अपने निजी विचार पार्टी के विचारों की तरह बताकर पेश किए, जिनसे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा.
इजरायल मुद्दे पर विपक्ष का समर्थन
केसी त्यागी ने विदेश नीति पर इंडिया ब्लॉक के नेताओं के सुर में सुर मिलाया. इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं के साथ साझा बयान पर उन्होंने हस्ताक्षर किए. इस बयान में कहा गया था कि केंद्र सरकार इजरायल को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति पर रोक लगाए. साझा बयान में कहा गया था कि इजरायल द्वारा जारी यह क्रूर हमला न केवल मानवता का अपमान है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून और न्याय और शांति के सिद्धांतों का भी घोर उल्लंघन है.
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दिल्ली विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में बीजेपी को बड़ी जीत मिलने के संकेत मिल रहे हैं. आम आदमी पार्टी को भ्रष्टाचार के आरोपों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. सर्वे के अनुसार बीजेपी को 50 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि आम आदमी पार्टी 20 से कम सीटों पर सिमट सकती है.
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दिल्ली दंगों के समय आम आदमी पार्टी की भूमिका पर सवाल उठे हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने पुलिस स्टेशन का दौरा किया था. भाजपा और कांग्रेस पर आरोप लगे कि वे दंगों के दौरान निष्क्रिय रहे. आम आदमी पार्टी ने अपने कोर वोटर मुस्लिम समुदाय का समर्थन खो दिया है. सर्वे के अनुसार, 83% मुस्लिम वोट आम आदमी पार्टी के पक्ष में थे, जो अब घटकर 20% रह गए हैं.
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अरविंद केजरीवाल ने एग्जिट पोल्स पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा, कुछ एजेंसीज दिखा रही हैं कि गाली गलौज पार्टी की 55 से ज्यादा सीट आ रही हैं. पिछले दो घंटे में हमारे 16 उम्मीदवारों के पास फोन आ गए हैं कि 'AAP' छोड़ के उनकी पार्टी में आ जाओ, मंत्री बना देंगे और हर किसी को 15-15 करोड़ रुपये देंगे.
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