बद्रीनाथ को इस्लाम से जोड़ने वाले शख्स का AAP और उत्तराखंड चुनाव से संबंध नहीं
The Quint
badrinath badruddin muslim।बद्रीनाथ को इस्लामिक धार्मिक स्थल बताते शख्स का उत्तराखंड चुनाव और आम आदमी पार्टी से संबंध नहीं ।Badrinath is Islamic religious place, video has no connection with Uttarakhand elections or AAM Admi Party।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें दिख रहा शख्स ये कह रहा है कि Badrinath असल में Islam धर्म का धार्मिक स्थल है. वीडियो में ये शख्स आगे PM Modi से भी ये मांग करता है कि वे इस मामले में आगे आएं और Muslims को उनका धार्मिक स्थल सौंप दें. वीडियो को Uttrakhand में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) पार्टी की एंट्री से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. हालांकि, पड़ताल में सामने आया कि वीडियो 4 साल पुराना है और इसका उत्तराखंड चुनाव या AAP से कोई संबंध नहीं है. दावावीडियो के साथ शेयर किया जा रहा कैप्शन है - फ्री बिजली के वादे के बाद....लो जी आ गयी सभी उत्तराखंडियों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी...बधाई हो बधाई हो बाबा बदरूनाथ खुदा की जय आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड में प्रवेश के रुझान आने शुरु हो गए हैं जागो उत्तराखंडियो जागो.पोस्ट का अर्काइव यहां देखें सोर्स : स्क्रीनशॉट/ट्विटरADVERTISEMENTट्विटर पर यही दावा करते अन्य पोस्ट्स का अर्काइव यहां, यहां और यहां देखें वीडियो फेसबुक पर भी इसी दावे के साथ वायरल है पोस्ट का अर्काइव यहां देखें सोर्स : स्क्रीनशॉट/फेसबुकADVERTISEMENTपड़ताल में हमने क्या पाया ?वीडियो में कही जा रही बातों से जुड़े कीवर्ड हमने गूगल पर सर्च किए. यूट्यूब पर 16 नवंबर, 2017 को अपलोड किया गया एक वीडियो हमें मिला. ये वीडियो वायरल हो रही क्लिप का लंबा वर्जन है. सोशल मीडिया पर वीडियो का जो हिस्सा शेयर किया जा रहा है, वह 01:01 मिनट से 02:55 मिनट के बीच सुना जा सकता है. वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि बद्रीनाथ को मुस्लिमों का धार्मिक स्थल बताते ये शख्स दारुल उलूम निसवान के उपाध्यक्ष मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी हैं.हमें न्यूज चैनल INDIA TV का साल 2017 का एक बुलेटिन भी मिला. जिसमें बताया गया है कि मौलाना कासमी का वीडियो सामने आने के बाद मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है. इंडिया टीवी से बातचीत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बयान को लेकर कहा था : जिसने भी इस प्रकार का वक्तव्य दिया है, वह भावनाओं को भड़काने वाला है. हम संज्ञान ले रहे हैं, आवश्यकता करने पर सख्त कार्रवाई करेंगे.ADVERTISEMENTजनसत्ता की साल 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक, बद्रीनाथ के स्थानीय निवासियों और मंदिर के पुजारियों ने मौलाना कासमी को पागल करार दिया था. मतलब साफ है कि 4 साल पुराने वीडियो को 2022 ...More Related News