बजट से पहले कार्यकर्ताओं ने कहा- सामाजिक सुरक्षा उपायों पर ख़र्च बढ़ाने की ज़रूरत
The Wire
प्रगतिशील नागरिक समाज संगठनों, सामाजिक आंदोलनों, शिक्षाविदों और अन्य विशेषज्ञों के एक मंच जन सरोकार ने आगामी केंद्रीय बजट से पहले नरेगा, खाद्य सुरक्षा, पेंशन, कृषि, बैंकिंग और वित्त, जेंडर, पर्यावरण जैसे क्षेत्रों को लेकर अपनी अपेक्षाएं और मांगें जारी की हैं.
नई दिल्ली: आगामी केंद्रीय बजट (2022-2023) से पहले नीति समर्थन, संसदीय जवाबदेही और सामाजिक आंदोलनों और प्रगतिशील राजनीतिक दलों के बीच तालमेल बनाने के लिए एक राष्ट्रीय मंच जन सरोकार ने वित्त मंत्री के नाम अपनी अपेक्षाओं और मांगों पर को जारी किया है. जैसा कि संसद आज साथ आ रही है, सभी की निगाहें 22-23 के बजट पर हैं। कोविड की तीसरी लहर और आगामी विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में – क्या इस बजट से भारतीय नागरिकों की आकांक्षा को पूरा करने की उम्मीद की जा सकती है? आगामी बजट सत्र से अपेक्षाओं और मांगों पर हमारा वक्तव्य पढ़ें- pic.twitter.com/HYcdjV3Wct
प्रगतिशील नागरिक समाज संगठनों, सामाजिक आंदोलनों, जन संगठनों, शिक्षाविदों और अन्य विशेषज्ञों के इस नेटवर्क ने एक पत्र में कुछ प्रमुख क्षेत्रों जैसे नरेगा, खाद्य सुरक्षा, पेंशन, कृषि, बैंकिंग और वित्त, दलित और आदिवासी कल्याण, विशेष रूप से सक्षम लोगों, जेंडर और पर्यावरण को लेकर विस्तार से बात की है. — Jan Sarokar – People's Agenda (@jan_sarokar) January 31, 2022
बयान में कहा गया है कि भारत में महामारी से पहले भी आर्थिक विकास में गिरावट देखी जा रही थी, हालांकि, भारतीय समाज के सबसे कमजोर वर्गों को इसके प्रतिकूल प्रभावों का खामियाजा भुगतना पड़ा है.
बयान में ऑक्सफैम और वर्ल्ड इनक्वॉलिटी लैब की हालिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए देश में बढ़ती आय और धन असमानता पर प्रकाश डाला गया है, साथ ही बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी और घरेलू आय में गिरावट की बात की गई है.