बच्चे को जन्म देने का चुनाव व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक आयाम है: दिल्ली हाईकोर्ट
The Wire
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक गर्भवती महिला को भ्रूण में अधिक विकृति रहने के चलते मेडिकल गर्भपात कराने की अनुमति दी है. याचिकाकर्ता ने गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर कर दावा किया था कि भ्रूण दिल की असामान्यताओं से पीड़ित है और उसके जीवित रहने की संभावना सीमित है.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक गर्भवती महिला को भ्रूण में अधिक विकृति रहने के चलते मेडिकल गर्भपात कराने की अनुमति दी है और कहा कि शिशु को जन्म देने का विकल्प चुनना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक आयाम है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित है.
महिला को 28 हफ्ते का गर्भ है.
जस्टिस ज्योति सिंह ने गर्भपात कराने की महिला की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि गर्भावस्था जारी रखने की अनुमति देने से याचिकाकर्ता के मानसिक स्वास्थ्य पर नुकसानदेह असर पड़ेगा और मेडिकल बोर्ड की राय के मद्देनजर उसे गर्भावस्था जारी रखने या नहीं रखने का फैसला लेने की स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता.
न्यायाधीश ने कहा कि मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक भ्रूण के एक स्वस्थ और सामान्य जीवन जीने की संभावना बहुत कम है. जन्म के बाद शिशु को जीवन के शुरुआती समय में हृदय की सर्जरी कराने और किशोरावस्था या युवावस्था में फिर से यह सर्जरी कराने की जरूरत होगी, जिससे उसका पूरा जीवन चिकित्सकीय परिस्थिति और चिकित्सकीय देखभाल पर निर्भर हो जाएगा.