बंगाल में हर घंटे तीन महिलाओं से अपराध, सुरक्षा से जीने की असली आजादी कब?
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एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 58 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वो असुरक्षित महसूस करती हैं. 52 फीसदी महिलाएं कहती हैं कि उन्हें रात में अकेले चलने में डर लगता है. 46 फीसदी महिलाएं देश में काम करने के दौरान या काम पर जाने के दौरान सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती हैं. 29% महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर छेड़छाड़ सहनी पड़ी और 75% ने कभी कहीं डर की वजह से शिकायत तक नहीं की.
देश ने बुधवार (15 अगस्त) को अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया. लेकिन हमारे समाज में एक सवाल आज भी गूंज रहा है कि क्या सुरक्षा के मुद्दे पर महिलाएं आजाद हो पाईं? कारण, देश 1947 में आजाद हो गया. अमेरिका में जहां संविधान बनने के 133 साल बाद महिलाओं को वोट का अधिकार मिला, वहीं भारत में संविधान बनने के साथ ही महिलाओं के पास सरकार चुनने और समानता का अधिकार तो मिला, लेकिन सुरक्षा का अधिकार पाने में आजादी के 78 साल बाद भी इंतजार बाकी है.
आजादी के साथ कहीं भी आने जाने, काम करने, रहने, घूमने की दस्तक हर महिला इसलिए चाहती है क्योंकि देश में हर 16 मिनट में कहीं ना कहीं किसी महिला के साथ रेप हो जाता है. सुरक्षा वाली आजादी देश की महिलाओं, बच्चियों, बेटियों को इसलिए चाहिए क्योंकि हर घंटे में देश में कहीं ना कहीं 51 मामले महिलाओं से अपराध के सामने आ जाते हैं. तीन साल के भीतर देश में प्रति घंटे महिलाओं से अपराध के 9 मामले बढ़ चुके हैं. जो पहले 2020 में 42 था, वो 2022 में 51 हो गया. जबकि महिलाओं से अपराध में सजा दिलाने की दर केवल 23 प्रतिशत ही है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 58 फीसदी महिलाओं ने कहा कि वो असुरक्षित महसूस करती हैं. 52 फीसदी महिलाएं कहती हैं कि उन्हें रात में अकेले चलने में डर लगता है. 46 फीसदी महिलाएं देश में काम करने के दौरान या काम पर जाने के दौरान सुरक्षा को लेकर चिंतित रहती हैं. 29% महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर छेड़छाड़ सहनी पड़ी और 75% ने इसकी कभी कहीं डर की वजह से शिकायत तक नहीं की.
सवाल पूछ रहा कोलकाता का पीड़ित परिवार
भारत में राज्य बदलते हैं. सरकार बदलती है. लेकिन बेटियों के लिए इंसाफ मांगती लौ जस की तस रहती है. क्योंकि जितनी देर न्याय मांगती मोमबत्ती जलती है, उससे भी कम देर में देश में महिलाओं से कई जगह अपराध हो जाता है. इस बार इंसाफ मांगता मोम बंगाल के लिए पिघल रहा है. जहां डॉक्टर बेटी का परिवार पूछता है, बेटी को पढ़ाने लिखाने डॉक्टर बनाने के बाद भी सुरक्षा की आजादी क्यों नहीं मिल पाई? देश में करोड़ों परिवार आज पूछते हैं कि वो सुरक्षित जगह बता दीजिए जहां बेटियों को डर ना लगे. जिन्हें आधी आबादी बताकर सियासत बड़ा महत्व देती है, वो पूछती हैं कि अपराध सहने के बाद न्याय की लड़ाई इतनी कठिन क्यों बना दी जाती है?
जिस पश्चिम बंगाल में हर घंटे तीन महिलाओं के साथ अपराध होता है, वहां हालत ये है कि पहले 8 अगस्त की देर रात महिला डॉक्टर को उसी के मेडिकल कॉलेज के सेमिनार रूम में रेप करके मार दिया गया. आरोप लगा कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने शुरुआत में पूरा मामला दबाना चाहा. आरोप लगा कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष को बचाया जा रहा है. फिर आरोप लगा कि जांच के पहले पांच दिन में कोलकाता पुलिस मामले को दबाती रही. इसके बाद आरोप लगा कि सीबीआई के पास जांच जाने के बाद क्राइम सीन और सबूत मिटाने के लिए भीड़ ने आरजी कर अस्पताल में हमला कर दिया.
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