बंगाल-असम के पहले चरण का थम जाएगा चुनाव प्रचार, जानें किस पार्टी का क्या दांव पर
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बंगाल के पहले चरण की 30 सीटों के लिए 191 प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि असम की 47 सीटों पर 267 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बंगाल के पहले चरण में जहां टीएमसी की साख दांव पर लगी है तो असम में बीजेपी को अपनी सरकार को बचाए रखने की चुनौती है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.
पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव के पहले चरण के चुनाव प्रचार का शोर गुरुवार शाम थम जाएगा, जहां शनिवार को वोटिंग होनी है. बंगाल के पहले चरण की 30 सीटों के लिए 191 प्रत्याशी मैदान में हैं जबकि असम की 47 सीटों पर 267 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. बंगाल के पहले चरण में जहां टीएमसी की साख दांव पर लगी है तो असम में बीजेपी को अपनी सरकार को बचाए रखने की चुनौती है. यही वजह है कि सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार के आखिरी दिन अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बंगाल के पहले चरण में 5 जिले की 47 सीटें बंगाल के पहले चरण में पांच जिलों बांकुड़ा, पुरुलिया, झारग्राम, पश्चिमी और पूर्वी मिदनापुर जिले की 47 सीटों पर शनिवार को वोटिंग होनी है. जंगल महल एरिया के नाम से मशहूर इन इलाकों में आदिवासी समुदाय के वोट काफी माने जाते हैं. एक दौर में यह इलाका लेफ्ट पार्टियों का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनाव से यहां से टीएमसी जीत दर्ज करती रही है. हालांकि, बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी के गढ़ में सेंधमारी करने में कामयाब रही है. ऐसे में इन 30 सीटों के चुनाव काफी दिलचस्प हो गए हैं.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
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