फ्लोर टेस्ट से बचेंगे उद्धव या साबित करना होगा बहुमत? SC में सुनवाई जारी
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महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होने वाली है. ये सुनवाई फ्लोर टेस्ट को लेकर है जिसके खिलाफ शिवसेना ने याचिका दायर की है.
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने फ्लोर टेस्ट को लेकर सरकार को नोटिस दे दिया है. अब उस फ्लोर टेस्ट के खिलाफ महा विकास अघाडी सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है जिस पर सुनवाई शुरू हो गई है.
इस पूरे मामले में शिवसेना की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पक्ष रखने जा रहे हैं, तो वहीं शिंदे गुट की तरफ से कोर्ट में नीरज किशन कौल अपनी दलील रखने वाले हैं. सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि उन्हें आज ही फ्लोर टेस्ट को लेकर जानकारी मिली है. जब तक विधायकों का सत्यापन नहीं हो जाता, फ्लोर टेस्ट नहीं किया जा सकता है.
लेकिन अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है कि क्या फ्लोर टेस्ट के लिए कोई न्यूनतम समय होता है. क्या संविधान में ऐसा लिखा है कि अगर फ्लोर टेस्ट होता है तो सरकार बदल जाती है, तो दोबारा फ्लोर टेस्ट नहीं किया जा सकता?
कोर्ट ने ये भी सवाल पूछा है कि क्या बहुमत परीक्षण 10 या 15 दिनों में दुबारा नही हो सकता अगर परिस्थिति बदलती है तो? संविधान में इसको लेकर क्या प्रावधान है? इस पर सिंघवी ने कहा है कि फ्लोर टेस्ट बहुमत जानने के लिए होता है. इसमें इस बात की उपेक्षा नहीं कर सकते कि कौन वोट डालने के योग्य है, कौन नहीं. स्पीकर के फैसले से पहले वोटिंग नहीं होनी चाहिए. उनके फैसले के बाद सदन सदस्यों की संख्या बदलेगी.
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