फिल्मों में गानों के इस्तेमाल को देखकर निराश हैं जावेद अख्तर, बोले- 'पैसे कमाने के लिए...'
NDTV India
जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने एक साक्षात्कार में कहा, मौजूदा दौर में ज़िंदगी की रफ़्तार के साथ फिल्मों की रफ़्तार भी बढ़ी है जिसके परिणामस्वरूप संगीत की रफ़्तार में भी तेजी आई है. बहुत तेज संगीत में शब्दों को समझ पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
जावेद अख्तर (Javed Akhtar) का मानना है कि मौजूदा दौर के फिल्मकार अपनी फिल्मों में गानों का इस्तेमाल कहानी को बेहतर बनाने के लिए नहीं बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि उन पर फिल्म के गानों के जरिए अधिक कमाई करने की जिम्मेदारी होती है. 'सिलसिला' (1981), '1942: ए लव स्टोरी', 'दिल चाहता है', 'कल हो ना हो' और 'गली बॉय' (2019) जैसी शानदार फिल्मों के गीत लिख चुके जावेद अख्तर का कहना है कि फिल्मकारों को गानों को फिल्म की पटकथा से जोड़ने में शर्म आती है इसलिए भी वे ऐसा करने से बचते हैं. मौजूदा दौर की फिल्मों में कहानी को तेजी से रूपहले पर्दे पर दिखाने का प्रचलन बढ़ा है, जिसका सीधा प्रभाव फिल्म के गीतों पर पड़ता है.More Related News