फ़ेसबुक ने 'हेट स्पीच' और 'नफ़रत वाले कंटेंट' पर चेतावनी की अनदेखी की- प्रेस रिव्यू
BBC
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले दो रिपोर्टें पेश की गई थीं जिनमें बढ़ती 'हेट स्पीच' और 'परेशान करने वाली सामग्री' की बात की गई. अख़बारों की सुर्खियाँ
साल 2018 से लेकर 2020 के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फ़ेसबुक के भारत में संचालन को लेकर तीन आंतरिक रिपोर्टें आईं जिनमें- 'ध्रुवीकरण वाली सामग्री', 'फ़ेक और अप्रामाणिक' मैसेज से लेकर अल्पसंख्यक समुदायों को 'बदनाम' करने वाले कंटेंट की लगातार बढ़ती संख्या की बात कही गई.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, निरीक्षण करने वाले कर्मचारियों के इन अलर्ट के बावजूद, साल 2019 में तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रिस कॉक्स ने एक आंतरिक समीक्षा बैठक में इन मुद्दों को "अपने प्लेटफ़ॉर्म पर तुलनात्मक रूप से कम विस्तृत" समस्या बताया.
देश में लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले जनवरी-फरवरी 2019 में दो रिपोर्टें पेश की गईं जिसमें बढ़ती 'हेट स्पीच' और 'परेशान करने वाली सामग्री' की बात की गई.
तीसरी रिपोर्ट , अगस्त 2020 के आखिर में आई, जिसमें कहा गया कि प्लेटफ़ॉर्म के एआई टूल 'स्थानीय भाषाओं की पहचान करने में नाकाम रहे और इसलिए, हेट स्पीच और समस्याग्रस्त कंटेट की पहचान नहीं की जा सकी.
इन सबके बावजूद कॉक्स की बैठक का ब्यौरा कहता है कि ''सर्वे के मुताबिक़ लोग हमारे प्लेटफॉर्म पर सामान्यतः सुरक्षित महसूस करते हैं, जानकारों ने हमें बताया है कि देश में हालात स्थिर हैं.''