
फसल बीमा योजना की सफलता के गान के बीच निजी कंपनियों ने ख़ारिज किए 75 फीसदी दावे
The Wire
विशेष रिपोर्ट: कृषि क़ानूनों के विरोध के बीच ख़ुद को 'किसान हितैषी' बताते हुए मोदी सरकार ने फसल बीमा योजना की सफलता के दावे किए हैं. हालांकि दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि इस बीच किसानों द्वारा दायर किए गए फसल बीमा दावों को ख़ारिज करने की संख्या में नौ गुना की बढ़ोतरी हुई है, जहां एचडीएफसी ने 86, टाटा ने 90 और रिलायंस ने 61 फीसदी दावों को ख़ारिज किया है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी आंदोलन के मद्देनजर अपनी सरकार को ‘किसान हितैषी’ दिखाने के एजेंडा के तहत 13 जनवरी को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का गुणगान किया और योजना के पांच साल पूरा होने को लेकर किसानों को बधाई दी थी. अपने एक ट्वीट में उन्होंने दावा किया कि इस योजना ने प्रकृति के प्रकोप से किसानों को बचाया है और करोड़ों किसानों को लाभ पहुंचाया है. इसी तरह नैनीताल के एक किसान खीमानंद पांडे के पत्र का जवाब देते हुए मोदी ने कहा कि फसल बीमा योजना के तहत दावा निपटारे की पारदर्शी प्रक्रिया, किसानों के कल्याण के लिए उनकी कोशिशों को दर्शाता है. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज दर्शाते हैं कि किसानों द्वारा दायर किए गए फसल बीमा दावों को खारिज करने की संख्या में नौ गुना की बढ़ोतरी हुई है. इसमें से 75 फीसदी से अधिक दावे प्राइवेट कंपनियों द्वारा खारिज किए गए हैं. आलम ये है कि बीमा कंपनी एचडीएफसी एर्गो ने कम से कम 86 फीसदी और टाटा एआईजी ने किसानों द्वारा दायर किए गए 90 फीसदी से अधिक दावों को खारिज कर दिया. वहीं रिलायंस जनरल ने 61 फीसदी से अधिक और यूनिवर्सल सोम्पो ने 72 फीसदी से अधिक फसल बीमा दावों को खारिज किया है.More Related News