फल विक्रेता, ट्रांसजेंडर डांसर, साइकल मैकेनिक! पद्म पुरस्कार विजेताओं के बारे में जान गर्व करेंगे आप
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हमारे देश में अक्सर नायक की पहचान सिनेमा और क्रिकेट खिलाड़ियों तक सीमित कर दी जाती है. इस काम के लिए बड़ी-बड़ी पीआर एजेंसीज और मार्केटिंग कंपनियों की मदद भी ली जाती है और बड़ी सावधानी से सितारों की नाज़ुक छवियों का निर्माण किया जाता है. लेकिन सेलिब्रिटी निर्माण की इस कलाकारी के बीच कुछ ऐसे गुमनाम लोग भी हैं जो सम्मान की चाहत और प्रसिद्ध होने की इच्छा के बगैर बड़ी ख़ामोशी से जन सेवा का काम कर रहे हैं. ये वो लोग हैं जो ज़मीन से जुड़े हैं, बहुत सामान्य से दिखते हैं. लेकिन इन्होंने जो काम किए हैं उनमें असली राष्ट्रवाद की भावना दिखाई देती है. केंद्र सरकार ने इसी भावना का सम्मान करते हुए इन लोगों को पद्म सम्मान के लिए चुना है. ये सही मायने में पद्म सम्मानों की राष्ट्रवादी परंपरा है. इस वीडियो में जानें पद्म पुरस्कार विजेताओं के बारे में.
सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.