प्रोफेसर भैरवी प्रसाद साहू: क्षेत्रीय इतिहास के पैरोकार
The Wire
स्मृति शेष: इस महीने की शुरुआत में प्रसिद्ध इतिहासकार और दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक भैरवी प्रसाद साहू का निधन हो गया. साहू ने अपने लेखन में राज्य और धर्म के अंतरसंबंध, धार्मिक कर्मकांड, स्थानीयताओं और स्थानीय समाजों की विकास की ऐतिहासिक प्रक्रिया को रेखांकित किया है.
प्रसिद्ध इतिहासकार एवं दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के प्राध्यापक भैरवी प्रसाद साहू का 3 मार्च, 2022 को निधन हो गया. भैरवी प्रसाद साहू ने भारतीय इतिहास के संदर्भ में क्षेत्रीय इतिहास, राज्य की संरचना, वैधता और प्राधिकार की निर्मिति, धार्मिक कर्मकांडों और प्रतीकों के इस्तेमाल का गहन ऐतिहासिक अध्ययन किया.
ये मुद्दे उनके समूचे ऐतिहासिक कार्य में लगातार आते हैं. 30 मई, 1957 को ओडिशा के ब्रह्मपुर में जन्मे भैरवी प्रसाद साहू ने दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की. दिल्ली विश्वविद्यालय से ही वर्ष 1985 में उन्होंने पीएचडी की. अपने लंबे अध्यापकीय जीवन का आरंभ उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीवेंकटेश्वर कॉलेज से किया.
बाद में वे वर्ष 1988 में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में प्राध्यापक बने, जहां उन्होंने तीन दशकों से अधिक समय तक अध्यापन किया.
भैरवी प्रसाद साहू ने वैधता और प्राधिकार (अथॉरिटी) के प्रश्न को राज्य निर्माण और राजतंत्र की जटिल संरचनाओं के विस्तृत फलक के संदर्भ में रखकर देखने की कोशिश की. उन्होंने समाज के विभिन्न समूहों और वर्गों के बीच सत्ता और शक्ति के वितरण, प्राधिकार की निर्मिति और देश-काल के अनुसार उसके बदलते हुए रूपों को विश्लेषित करने पर ज़ोर दिया.