प्राचीन स्थलों के ‘मूल’ नामों को पुनर्स्थापित करने के लिए आयोग गठित करने संबंधी याचिका ख़ारिज
The Wire
इस संबंध में दाख़िल एक जनहित याचिका के मक़सद पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह उन मुद्दों को जीवंत कर देगा, ‘जो देश में तनाव का माहौल पैदा कर सकते हैं’. अदालत ने यह भी कहा कि देश का इतिहास इसकी मौजूदा और भावी पीढ़ियों को डराने वाला नहीं होना चाहिए.
नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को प्राचीन, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थानों के ‘मूल’ नामों को फिर से रखने के लिए ‘पुनर्नामकरण आयोग’ (Renaming Commission) के गठन की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया.
याचिका में तर्क दिया गया था कि आक्रमणकारियों द्वारा इन प्राचीन स्थलों के मूल नामों को बदल दिया गया है. इसमें बदलाव किए जाने की मांग को लेकर कहा गया था कि भारत अतीत का कैदी नहीं हो सकता है.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह उन मुद्दों को जीवंत कर देगा, ‘जो देश में तनाव का माहौल पैदा कर सकते हैं’.
पीठ ने कहा, ‘यह एक तथ्य है कि हमारे देश पर आक्रमण किया गया और एक विदेशी ताकत द्वारा शासित किया गया. हम अपने इतिहास के चुने हुए हिस्से की कामना नहीं कर सकते हैं.’