
प्रयागराज का लारेब हाशमी केस... क्या है सेल्फ रेडिकलाइजेशन, आतंक का ये रूप क्यों सबसे खतरनाक?
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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक कंडक्टर पर जानलेवा हमला कर वीडियो जारी करने वाले लारेब हाशमी ने कई बड़े खुलासे किए. उसने माना कि वो लगातार जेहाद के वीडियो देख रहा था. यहां तक कि वीडियो देखकर ही उसने गला काटने की प्रैक्टिस की थी. ये सेल्फ रेडिकलाइजेशन है, जिसमें कुछ देख या सुन-पढ़कर ही लोग इतने कट्टर हो जाते हैं कि मरने-मारने पर तुल आते हैं.
सबसे पहले ताजा मामले को समझते चलें. प्रयागराज के लारेब हाशमी ने बस कंडक्टर के साथ मामूली कहासुनी के बाद उसे चापड़ मारकर बुरी तरह से घायल कर दिया. इसके बाद उसने एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें वो खुलकर अपने कट्टरपंथी विचार बता रहा है. गिरफ्तारी की कोशिश में लारेब के पांव में गोली लगी. फिलहाल उसका इलाज चल रहा है, जहां उसने अपने बारे में कई बातों का खुलासा करते हुए उन वीडियोज के बारे में भी बात की, जिससे उसे चरमपंथ की प्रेरणा मिली.
यही सेल्फ रेडिकलाइजेशन है, जिसका सहारा दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन माने जाते इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने भी लिया था. वो न केवल इसके जरिए मिलिटेंट्स की भर्ती किया करता, बल्कि लोगों को बरगलाया भी करता था. यही वजह है कि यूरोप के एडवांस देशों से भी काफी सारे लोग आतंकी बन गए. बहुत से देश लगातार इसे लेकर अलर्ट मोड पर हैं ताकि सेल्फ रेडिकल होने को टाला जा सके.
क्या है सेल्फ रेडिकलाइजेशन इसमें टैररिस्ट सीधे-सीधे ट्रेनिंग नहीं देते हैं, बल्कि लोग उन्हें देख-सुनकर ही बहकावे में आ जाते हैं. सोशल मीडिया इसका सबसे बढ़िया मोड है. अलग कोई आतंकी या धार्मिक तौर पर कट्टर व्यक्ति लगातार कोई वीडियो या कंटेट डालता रहे, और कोई लगातार उसे देखता या सुनता रहे तो हो सकता है कि कुछ समय बाद वो भी ऐसी ही सोच रखने लगे. वो एक खास तरह की विचारधारा पर इतना यकीन करने लगता है कि उसके लिए किसी भी हद तक जा सकता है.
क्यों ज्यादा खतरनाक माना जा रहा आतंकी जब सीधे-सीधे मिलते और ट्रेनिंग देते हैं तो उन्हें ट्रैक करना आसान होता है. एक भी पकड़ाई में आया तो दूसरों का पता निकाला जा सकता है. वहीं सेल्फ रेडिकलाइज्ड लोग ज्यादा खतरनाक होते हैं. ये आतंकियों का मोहरा बनकर काम करते हैं. ये ग्रुप में भी हो सकते हैं और अलग-अलग भी. ऐसे लोग सोसायटी के बीच होते हैं और आमतौर पर पहचाने नहीं जा पाते. अगर इनके भीतर कोई आतंकी मंसूबा पल रहा हो तो पता लगा पाना आसान नहीं.
कौन आ सकता है बहकावे में कई बार कुछ खास बातें किसी को सेल्फ रेडिकलाइजेशन की तरफ खींच सकती हैं- - अगर किसी के पास नौकरी न हो - कोई विदेशी धरती पर भेदभाव झेल रहा हो - खुद को दूसरों से अलग-थलग मानना - पूर्व में कोई एक्सट्रीम घटना झेल चुकना - किशोर उम्र के लोग भी सॉफ्ट टारगेट - अकेले और नशे की गिरफ्त में आ चुके लोग
कैसे बहकाया जाता है

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