'प्रधानमंत्री भी तो वाराणसी से लड़ते हैं चुनाव', आसनसोल उपचुनाव में बाहरी के आरोप पर बोले शत्रुघ्न सिन्हा
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पश्चिम बंगाल की आसनसोल संसदीय सीट से उपचुनाव में नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने बाहरी बताए जाने से लेकर राजनीतिक हिंसा तक, तमाम पहलुओं पर बेबाकी से अपनी बात रखी.
पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने हैं. बाबुल सुप्रियो के इस्तीफे से रिक्त हुई सीट पर सूबे की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कभी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में रहे 'शॉटगन' शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार बनाया है. शत्रुघ्न सिन्हा ने आसनसोल सीट से नामांकन के बाद आजतक से बात करते हुए बाहरी समेत तमाम पहलुओं पर बेबाकी से अपनी बात रखी.
शत्रुघ्न सिन्हा ने खुलासा किया कि टीएमसी की ओर से पहले भी आसनसोल से चुनाव लड़ने को कहा गया था. कलाकार साथी बाबुल सुप्रियो के खिलाफ नहीं लड़ना चाहता था. उन्होंने कहा कि इस दफे तो ममता बनर्जी ने ट्वीट करके मेरा नाम अनाउंस कर दिया. मुझे मेरे साथियों ने बताया और कहा कि अब ना मत करना.
बिहारी बाबू के उपनाम से प्रसिद्ध शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि मुझ पर बाहरी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भी तो वाराणसी से लड़ते हैं तो वे क्या कहलाएंगे. मैं बंगाल की संस्कृति से जुड़ा हुआ हूं, बाहरी नहीं हूं. शत्रुघ्न सिन्हा ने आसनसोल से ऐतिहासिक जीत का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि ममता बनर्जी के नेतृत्व और उनकी क्षमता ने मुझे प्रेरित किया है, प्रभावित किया है.
उन्होंने कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री ने आठ साल में कश्मीरी पंडितों के लिए क्या किया. वे केवल फिल्म का प्रचार कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है. शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि खुद कई शोध कश्मीरी पंडितों पर किए थे. यासीन मलिक और कश्मीर के पीड़ितों को बुलाया था और उन्हें बोलने का मौका दिया था.
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि फिल्म सत्य पर आधारित है लेकिन सत्य नहीं. ये अर्ध सत्य भी हो सकती है. बंगाल की राजनीतिक हिंसा को लेकर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि यह बीजेपी का प्रोपेगैंडा है. बीजेपी के बर्तनों को अच्छी तरह जानता हूं. बीजेपी आईटी सेल में मेरे कई मित्र हैं. उन्होंने कहा कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है.
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