प्रधानमंत्री अपना कोई भी भाषण कांग्रेस की चर्चा किए बगैर पूरा क्यों नहीं कर पाते
The Wire
प्रधानमंत्री के अनुसार कांग्रेस का अहंकार नहीं जाता, पर यह कांग्रेसियों की चिंता का विषय है या देश की? प्रधानमंत्री कांग्रेस के प्रति जवाबदेह हैं या देशवासियों के? उनके वजह-बेवजह कांग्रेस को कोसने से सिर्फ यह पता चलता है कि उनकी और उन जैसों की जमात की आज के प्रश्नों को अतीत की ओर ले जाकर वर्तमान व भविष्य की ओर पीठकर लेने की बीमारी लगातार लाइलाज होती जा रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर चली चर्चा का जवाब देते हुए लोकसभा और राज्यसभा में जो कुछ कहा, उसे और जो भी कहा जाए, देशवासियों के दुख-दर्द से जुड़े उन सवालों का जवाब नहीं कहा जा सकता, जो चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने उठाए थे.
इसके उलट प्रधानमंत्री ने सारे सवालों से कतराकर निकल जाने के लिए जिस तरह कांग्रेस को कोसने की अपनी पुरानी रणनीति पर एक बार फिर अमल किया, उससे कई नए और कहीं ज्यादा जटिल प्रश्न उठ खड़े हुए हैं, जो तुरंत उत्तर की मांग करते हैं.
इन सवालों में सबसे बड़ा तो निस्संदेह यही है कि देशवासियों ने कोई आठ साल पहले कांग्रेस को बेदखलकर उनकी सरकार को इसलिए चुना था कि वे उन्हें कांग्रेसकाल की विडंबनाओं से निजात दिलाएंगे या इसलिए कि जब भी एहसास होगा कि उनके राज में हो रही देश की दुर्दशा ने कांग्रेसकाल को बुरी तरह मात दे डाली है, वे कांग्रेस के गुनाह गिनाने लग जाएंगे और उनकी आड़ लेकर अपने गिरेबान में झांकने या हालात को बदलने कौन कहे, स्वीकारने से ही इनकार कर देंगे?
इसी से जुड़ा हुआ एक और सवाल है कि देशवासी समझते कि प्रधानमंत्री की सरकार उन्हें भेड़ समझकर ‘जहां भी जाएंगी, मूंड़ी ही जाएंगी’ के हालात में डाल देगी, साथ ही मूंड़ने में ऐसी बेदिली बरतेगी कि मूंड़ने को सही ठहराने के लिए पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तक की ‘शहादतें’ देने लगेगी, तो कौन कह सकता है कि वे इस सवाल से नहीं गुजरते कि फिर नेहरू की पार्टी ही क्या बुरी है- भारतीय जनता पार्टी या नरेंद्र मोदी में कोई सुरखाब के पर तो नहीं लगे हुए हैं?