
पेट्रोल-डीज़ल मूल्यवृद्धि: विरोध से लेकर समर्थन करने तक भाजपा का सुर कैसे बदल गया
The Wire
भाजपा ने ईंधन की क़ीमतों में बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पर हमला करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, हालांकि सत्ता में आने पर उसने पेट्रोल, डीज़ल के दामों को कम करने के अपने वादे को पूरा नहीं किया और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कारकों को ज़िम्मेदार बताने लगी.
नई दिल्ली: मई 2012 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उन्होंने तत्कालीन सरकार द्वारा ईंधन की कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी को कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की विफलता के एक प्रमुख उदाहरण के तौर पर पेश किया. फटाफट Petrol टैंक फुल करवा लीजिए।
भाजपा और उसके नेताओं ने मनमोहन सिंह सरकार पर हमलावर होने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने वादा किया कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो ईंधन की कीमतों में कमी लाएंगे. मोदी सरकार का ‘चुनावी’ offer ख़त्म होने जा रहा है। pic.twitter.com/Y8oiFvCJTU
वर्षों बाद, उस वादे को साकार होता देखना नागरिकों के लिए केवल दूर का सपना इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि मोदी सरकार ने ईंधन की कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि की है. — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 5, 2022
पिछले नौ दिनों में देश में आठ बार ईंधन की कीमतें बढ़ी हैं. 30 मार्च बुधवार को पेट्रोल के दामों में 80 पैसे की वृद्धि हुई. इस तरह एक सप्ताह के समयांतराल में पेट्रोल के दामों में 5.60 रुपये की वृद्धि हुई है. दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत अब 101.01 रुपये है.