पेगासस मामला: क्या है वो "लॉफ़ुल इंटरसेप्शन" जिसकी दुहाई दे रही है भारत सरकार
BBC
आईटी एक्ट में सेक्शन 69 में इंटरसेप्शन के लिए एक क़ानूनी ढांचा स्थापित किया गया जिसमें यह साफ़ कर दिया गया कि अगर सरकार को लगता है कि कुछ वजहों से उन्हें इंटरसेप्शन करनी चाहिए तो वो ऐसा कर सकती है.
पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल से भारत के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फ़ोन हैक होने के आरोप पर केंद्र सरकार ने इस बात का जवाब अब तक नहीं दिया है कि क्या भारत सरकार ने इसराइली कंपनी एनएसओ से पेगासस स्पाईवेयर ख़रीदा या नहीं. इसके उलट सरकार ने संसद के ज़रिए देश भर को बताया है कि "लॉफ़ुल इंटरसेप्शन" या क़ानूनी तरीके से फ़ोन या इंटरनेट की निगरानी या टैपिंग की देश में एक स्थापित प्रक्रिया है जो बरसों से चल रही है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को संसद में कहा कि भारत में एक स्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से या किसी भी सार्वजनिक आपातकाल की घटना होने पर या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए केंद्र और राज्यों की एजेंसियां इलेक्ट्रॉनिक संचार को इंटरसेप्ट करती हैं. इसराइल करेगा पेगासस जासूसी मामले की जांच, मंत्री समूह का गठन वैष्णव के अनुसार, भारतीय टेलीग्राफ़ अधिनियम, 1885 की धारा 5 (2) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69 के प्रावधानों के तहत प्रासंगिक नियमों के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक संचार के वैध इंटसेप्शन के लिए अनुरोध किए जाते हैं, जिनकी अनुमति सक्षम अधिकारी देते हैं.More Related News