
पेगासस जासूसी मामला: वो सवाल जिनके जवाब अब तक नहीं मालूम
BBC
इसराइल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के सॉफ़्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के फ़ोन की जासूसी करने का दावा किया जा रहा है.
भारत सहित दुनियाभर में पेगासस स्पाईवेयर एक बार फिर चर्चा में हैं. इसराइल की सर्विलांस कंपनी एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, नेताओं, मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के फ़ोन की जासूसी करने का दावा किया जा रहा है. 50 हज़ार नंबरों के एक बड़े डेटा बेस के लीक की पड़ताल द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट, द वायर, फ़्रंटलाइन, रेडियो फ़्रांस जैसे 16 मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने की. एनएसओ समूह की ओर से ये साफ़ कहा जा चुका है कि कंपनी अपने सॉफ्टवेयर अलग-अलग देश की सरकारों को ही बेचती है और इस सॉफ्टवेयर को अपराधियों और आतंकवादियों को ट्रैक करने के उद्देश्य से बनाया गया है. पेरिस के एक गैर-लाभकारी मीडिया संगठन फ़ॉरबिडेन स्टोरीज़ और एमनेस्टी इंटरनेशनल को 50 हज़ार फ़ोन नंबरों का डेटा मिला और इन दोनों संस्थाओं ने दुनिया की 16 मीडिया संस्थानों के साथ मिलकर रिपोर्टरों का एक समूह बनाया जिसने इस डेटा बेस के नबंरों की पड़ताल की. इस पड़ताल को 'पेगासस प्रोजेक्ट' का नाम दिया गया है. दावा किया जा रहा है कि ये 50 हज़ार नंबर एनएसओ कंपनी के क्लाइंट (कई देशों की सरकारें) ने पेगासस सिस्टम को उपलब्ध कराए हैं. ये डेटा बेस साल 2016 से लेकर अब तक का बताया जा रहा है.More Related News