पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता का दावा- नांदेड़ धमाके में थी शीर्ष दक्षिणपंथी नेताओं की भूमिका
The Wire
पच्चीस साल तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहे यशवंत शिंदे ने सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष दायर एक हलफ़नामे में दावा किया है कि 2006 नांदेड़ धमाके से तीन साल पहले विहिप के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें आतंकी प्रशिक्षण शिविर के बारे में बताया था, जो 'देशभर में बम धमाके करने के इरादे से चलाया गया था.'
मुंबई: साल 2006 में नांदेड़ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता के आवास पर बम विस्फोट के सोलह साल बाद संगठन के एक पूर्व वरिष्ठ पदाधिकारी ने विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष आवेदन दायर कर दावा किया है कि कई वरिष्ठ दक्षिणपंथी नेता सीधे तौर पर घटना शामिल थे.
रिपोर्ट के अनुसार, आवेदक यशवंत शिंदे लगभग 25 वर्षों से आरएसएस कार्यकर्ता थे और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल जैसे अन्य दक्षिणपंथी समूहों के साथ भी जुड़े थे. उन्होंने दावा किया है कि विस्फोट से तीन साल पहले विहिप के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने उन्हें ‘देश भर में विस्फोटों को अंजाम देने’ के लिए चल रहे एक आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर के बारे में बताया था.
4 और 5 अप्रैल 2006 की दरमियानी रात में हुआ नांदेड़ बम विस्फोट कुछ सालों के अंतराल में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में हुए तीन बम धमाकों में से एक था. अन्य दो विस्फोट- परभणी (2003) और पूर्णा (2004) में हुए थे. अदालतें उन सभी व्यक्तियों को पहले ही बरी कर चुकी हैं, जिन पर मस्जिदों में बम फेंकने का आरोप था.
महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के बाद मामले को संभालने वाली सीबीआई ने दावा किया था कि यह विस्फोट एक लक्ष्मण राजकोंडवार नाम के शख्स के घर पर दुर्घटनावश हुआ था, जो कथित रूप से एक आरएसएस कार्यकर्ता थे. बम असेंबल करते समय राजकोंडवार के बेटे नरेश और विहिप कार्यकर्ता हिमांशु पानसे की मौत हो गई थी. जांच एजेंसियों का मानना है कि बम का इस्तेमाल औरंगाबाद की एक मस्जिद को निशाना बनाने के लिए किया जाना था.