पूर्वांचल में गन्ने की खेती पर गहराते संकट को लेकर चुप क्यों हैं मोदी और योगी सरकार
The Wire
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर से लेकर कुशीनगर, देवरिया, बस्ती का इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. गोरखपुर और बस्ती मंडल के कुल सात ज़िलों में कभी 28 चीनी मिलें हुआ करती थीं, लेकिन आज 16 मिलें बंद हैं. लोगों को उम्मीद थी कि डबल इंजन की सरकार पूर्वांचल की बंद चीनी मिलों को शुरू कर इलाके में खुशहाली लाएगी, लेकिन अभी तक यह संभव नहीं हो पाया है.
गोरखपुर: अपने चुनावी भाषणों में गन्ना किसानों के लिए ‘अभूतपूर्व कार्य’ करने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल में गन्ने की खेती पर गहराते संकट से या तो अनजान हैं या सब कुछ जानते हुए भी चुप हैं.
पिछले दो वर्षों में भारी वर्षा और रेट रॉट (लाल सड़न) रोग के कारण गन्ना किसानों को बहुत नुकसान हुआ है, लेकिन केंद्र और यूपी सरकार ने गन्ना किसानों को एक पैसे की मदद नहीं की है. गन्ना किसानों द्वारा राहत की मांग को भी अनसुना कर दिया गया.
पूर्वांचल के गन्ना किसान बंद चीनी मिलों और गन्ना मूल्य के बकाए की समस्या से पहले से जूझ रहे थे. भारी बारिश, जल जमाव और रोग ने पूर्वांचल की गन्ने की खेती का संकट गहरा कर दिया है, जिससे उबरना अगले दो तीन वर्षों से आसान नहीं होगा.
पूर्वांचल में सबसे अधिक बोयी जाने वाली गन्ने की प्रजाति ‘को 0238’ (Co-0238) रेड रॉट (Red Rot) रोग का शिकार हो गई है और अब इसे खेती से हटाया जा रहा है, लेकिन इसके विकल्प के रूप में दूसरी प्रजातियों के बीज पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं.