पूर्वांचल की किन सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं ओमप्रकाश राजभर? जानें क्या है BJP का प्लान
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ओमप्रकाश राजभर एनडीए में शामिल होते ही एक्टिव मोड में आ गए हैं. राजभर ने लखनऊ से बलिया एक कर दिया है. ओमप्रकाश राजभर बीजेपी के साथ पूर्वांचल की किन सीटों का समीकरण बदल सकते हैं और उन सीटों को लेकर प्लान क्या है जहां 2019 चुनाव में बीजेपी को मात मिली थी?
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओमप्रकाश राजभर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने के बाद से एक्टिव नजर आ रहे हैं. सीएम योगी से लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष तक से मुलाकात के बाद राजभर ने पूर्वांचल की उन छह लोकसभा सीटों पर फोकस करने की बात कही है जहां 2019 में बीजेपी को मात मिली थी.
उन्होंने कहा है कि हमारा प्लान पूर्वांचल में अपने चुनाव अभियान का आगाज उन्हीं सीटों से करने का है जहां पिछली बार बीजेपी हार गई थी. आजमगढ़ जिले के लालगंज लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा कराने का प्लान है. सीएम योगी को इसके लिए प्रस्ताव दिया है.
ओमप्रकाश राजभर ने कहा है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के जरिए भी प्रस्ताव जेपी नड्डा को भेजा गया है. उनके इस बयान से संकेत साफ हैं- बीजेपी और सुभासपा के गठबंधन का पूरा फोकस पूर्वांचल की उन सीटों पर है जहां पिछली बार बीजेपी हार गई थी. पूर्वांचल में बीजेपी की शिकस्त ने ही राजभर की एनडीए में वापसी का आधार तैयार किया था. राजभर ने भी लखनऊ से बलिया तक एक कर दिया है.
पूर्वांचल में किस तरह से प्रभावित होंगे समीकरण
यूपी में करीब चार फीसदी राजभर हैं. पूर्वांचल के 25 जिलों में 26 लोकसभा सीटें हैं और इनमें 18 जिलों में राजभर अच्छी संख्या में हैं. राजभर मतदाता करीब दर्जनभर लोकसभा सीटों पर जीत-हार तय करने में निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में हैं. ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने 2019 के चुनाव में 19 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. सुभासपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी लेकिन आठ सीटें ऐसी थीं जहां पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी.
सुभासपा के 19 उम्मीदवारों को कुल मिलाकर तीन लाख से भी कम वोट मिले थे. ये आंकड़ा बताता है कि सुभासपा अकेले दम जीतने की स्थिति में नहीं है लेकिन उसका वोटबैंक अगर बीजेपी जैसी पार्टी के साथ चला जाए तो जीत की राह आसान हो सकती है. राजभर का वोटबैंक भी बसपा की तरह डेडिकेटेड रहा है, ऐसे में बीजेपी को लगता है कि उसके वोट में राजभर वोट भी जुड़ जाएं तो पूर्वांचल का किला फतह किया जा सकता है.
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