पुलिसकर्मी को जेल अधीक्षक के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है: उत्तराखंड हाईकोर्ट
The Wire
अदालत ने कहा कि हम क़ैदियों के सुधार और पुनर्वास के दौर में आ गए हैं. पुलिस एवं जेल प्रशासन की ट्रेनिंग अलग-अलग होती है, इसी आधार पर उनकी सोच का भी निर्माण होता है, इसलिए पुलिस अधिकारी को जेल का काम नहीं सौंपा जा सकता.
नई दिल्ली: कैदियों के अधिकार के संबंध में एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिसकर्मी को जेल अधीक्षक नहीं बनाया जा सकता है. लाइव लॉ के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने कहा है कि हम ‘कैदियों का सुधार और पुनर्वास’ के दौर में आ गए हैं. कोर्ट ने कहा कि पुलिस और जेल अधीक्षक बनाने का उद्देश्य अलग-अलग होता है, इसी के अनुसार उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है और उनका मनोविज्ञान भी इसी अनुरूप होता है. इसलिए एक पुलिसवाले को जेल अधीक्षक नहीं बनाया जा सकता है. आदेश में कहा गया, ‘पुलिस का काम सुधार या पुनर्वास करना नहीं है, बल्कि वे अपराध को रोकने और अपराधियों को दंडित करने का काम करते हैं. इसलिए पुलिसकर्मी की ट्रेनिंग एक अलग विचार के साथ की जाती है और इसका उद्देश्य कानून में निर्धारित किया गया है. इस प्रकार पुलिस प्रशासन और जेल प्रशासन की फिलॉसॉफी में काफी अंतर होता है. यहां तक कि दोनों की ट्रेनिंग और सोच में काफी अंतर है.’More Related News