पुतिन की ज़िंदगी का वो क़िस्सा, जब वो नेटो के विरोधी बन गए
BBC
पुतिन ने नेटो के महासचिव रहे जॉर्ज रॉबर्टसन से कहा था कि वो उन्हें नेटो में शामिल होने के लिए कब आमंत्रित कर रहे हैं. लेकिन रॉबर्टसन के जवाब ने उन्हें निराश कर दिया.
''रूस क्या चाहता है? क्या रूस वाक़ई यूक्रेन के हिस्से को ख़ुद में मिलाना चाहता है? मेरा मानना है कि पुतिन दबाव बना रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वह ये काम कर सकते हैं. वह जानते हैं कि यूरोपियन यूनियन में दरार डाल सकते है.''
''लेकिन जो चीज़ वह वाक़ई चाहते हैं, वो है- सम्मान...और किसी को सम्मान देने में बहुत कम ख़र्च होता है. सच कहिए तो कुछ भी ख़र्च नहीं होता है. हमें चीन के ख़िलाफ़ रूस की ज़रूरत है. हमें रूस को चीन से दूर रखना होगा. यूक्रेन में जो कुछ भी हो रहा है, हमें उसे भी देखना है. क्राइमिया प्रायद्वीप अब जा चुका है और इसे रूस कभी वापस नहीं करेगा. यही सच है.''
भारत में 20 जनवरी को इसी बयान के कारण जर्मन नेवी प्रमुख को इस्तीफ़ा देना पड़ा था. जर्मन नेवी प्रमुख के इस्तीफ़े और उनके बयान पर रूस ने भी प्रतिक्रिया दी है.
रूसी समाचार एजेंसी ताश के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति पुतिन के प्रेस सेक्रेटरी दमित्री पेस्कोव ने कहा, ''जर्मन नेवी प्रमुख के बयान से साफ़ होता है कि यूरोपियन यूनियन में सभी बेपटरी नहीं हुए हैं और ऐसे लोग भी हैं, जो सही बात करते हैं.''
दमित्री पेस्कोव ने कहा, ''हमें उस बयान के बारे में पता है. हालांकि इस बयान का नेटो और ईयू के रुख़ से कोई लेना-देना नहीं है. लेकिन इस बयान का मतलब है कि यूरोप में हर कोई पटरी से नहीं उतर गया है. गंभीर लोग भी हैं जो सच्चाई बोल सकते हैं. ऐसे लोग सही पक्ष को देखना चाहते हैं.''