पुणे पोर्श केस: जमानत मिलने के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे नाबालिग के पिता
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हादसे के बाद नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन पर नाबालिग को वैध लाइसेंस के बिना कार चलाने देने का आरोप लगा था. गाड़ी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में पंजीकृत भी नहीं थी.
महाराष्ट्र के पुणे में सामने आए पोर्श एक्सीडेंट केस के आरोपी नाबालिग के पिता को पुणे की सेशन कोर्ट से जमानत मिल चुकी है. हालांकि, जमानत मिलने के बाद भी वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे.
बता दें कि 19 मई को हुई दुर्घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी. नाबालिग कथित तौर पर नशे की हालत में बहुत तेज गति से हाई-एंड पोर्श कार चला रहा था. कार एक बाइक से टकरा गई थी, जिसमें दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा की मौत हो गई थी.
पिता पर लगे थे ये आरोप
हादसे के बाद नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन पर नाबालिग को वैध लाइसेंस के बिना कार चलाने देने का आरोप लगा था. गाड़ी क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में पंजीकृत भी नहीं थी. अग्रवाल को मोटर वाहन अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के तहत आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.
वकील ने दी थी यह दलील
वकील प्रशांत पाटिल के जरिए पिता की जमानत याचिका में कहा गया था कि जांच एजेंसी आरोपों का संज्ञान नहीं ले सकती थी, क्योंकि वे सभी गैर संज्ञेय थे. पुलिस के पास कानून के प्रावधानों के अनुसार अग्रवाल को गिरफ्तार करने का कोई अधिकार नहीं था. पाटिल ने यह भी कहा था कि पुलिस को पहले प्रक्रिया के तहत नोटिस भेजना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. अग्रवाल को 20 मई को एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे बाद ही हिरासत में ले लिया गया.
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