पुणे का ये शख्स है 'चलता फिरता प्लाज्मा बैंक', 14 बार डोनेट कर चुका है प्लाज्मा
AajTak
अजय मुनोत के मुताबिक वे जुलाई 2020 में कोरोना से संक्रमित होने के बाद रिकवर हुए थे, तभी से वे लगातार प्लाज्मा दान करते आ रहे हैं. जिस प्लाज्मा बैंक में मुनोत प्लाज्मा डोनेट करने जाते हैं, वहां की इंचार्ज डॉक्टर स्मिता जोशी से भी आजतक ने बात की.
रक्तदान को महादान कहा जाता है. इस वक्त देश जब कोरोना की महामारी से जूझ रहा है, प्लाज्मा दान को गंभीर कोविड-19 मरीजों के लिए वरदान से कम नहीं समझा जा रहा. पुणे का एक शख्स पिछले नौ महीने में 14 बार प्लाज्मा दान कर चुका है. पुणे के रहने वाले इस शख्स का नाम अजय मुनोत है. इतनी बार प्लाज्मा दान करने की वजह से करीबी उन्हें ‘चलता फिरता प्लाज्मा बैंक’ बुलाने लगे हैं. मां से मिली प्रेरणा 14 बार प्लाज्मा दान करने वाले अजय मुनोत 50 साल के हैं. वो शरीर में लगातार बनने वाली एंटीबॉडीज को प्लाज्मा के जरिए दान करने के पीछे अपनी मां को प्रेरणा बताते हैं. मुनोत बताते हैं कि उनकी मां का ब्लड ग्रुप ‘O’ निगेटिव था, यूनिवर्सल डोनर होने की वजह से वो किसी भी ब्लड ग्रुप वाले को रक्त दान कर सकती थीं. उन्हें पुणे के ऑर्मी ऑफिस से कई बार रक्त दान के लिए फोन आते थे. जब भी मां को ऐसा करते मुनोत देखते तो दूसरों की मदद के लिए उनका जज्बा भी और मजबूत होता रहा.सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह रही कि खींवसर को तीन क्षेत्रों में बांटकर देखा जाता है और थली क्षेत्र को हनुमान बेनीवाल का गढ़ कहा जाता है. इसी थली क्षेत्र में कनिका बेनीवाल इस बार पीछे रह गईं और यही उनकी हार की बड़ी वजह बनी. आरएलपी से चुनाव भले ही कनिका बेनीवाल लड़ रही थीं लेकिन चेहरा हनुमान बेनीवाल ही थे.
देश का सबसे तेज न्यूज चैनल 'आजतक' राजधानी के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में तीन दिवसीय 'साहित्य आजतक' महोत्सव आयोजित कर रहा है. इसी कार्यक्रम में ये पुरस्कार दिए गए. समारोह में वरिष्ठ लेखकों और उदीयमान प्रतिभाओं को उनकी कृतियों पर अन्य 7 श्रेणियों में 'आजतक साहित्य जागृति सम्मान' से सम्मानित किया गया.
आज शाम की ताजा खबर (Aaj Ki Taza Khabar), 23 नवंबर 2024 की खबरें और समाचार: खबरों के लिहाज से शनिवार का दिन काफी अहम रहा है. महाराष्ट्र में नतीजे आने के बाद सूत्रों की मानें तो एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पर पर अपना दावा ठोका है. सीएम योगी ने यूपी उपचुनाव के नतीजों को पीएम मोदी के नेतृत्व की जीत बताया है.
हिंदी साहित्य के विमर्श के दौरान आने वाले संकट और चुनौतियों को समझने और जानने की कोशिश की जाती है. हिंदी साहित्य में बड़े मामले, संकट और चुनने वाली चुनौतियाँ इन विमर्शों में निकली हैं. महत्वपूर्ण विचारकों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए हैं. हिंदी साहित्यकार चन्द्रकला त्रिपाठी ने कहा कि आज का विकास संवेदन की कमी से ज्यादा नजर आ रहा है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति प्रेम के लिए वस्तुओं की तरफ झूक रहा है, लेकिन व्यक्ति के प्रति संवेदना दिखाता कम है. त्रिपाठी ने साहित्यकारों के सामने मौजूद बड़े संकट की चर्चा की. ये सभी महत्वपूर्ण छोटी-बड़ी बातों का केंद्र बनती हैं जो हमें सोचने पर मजबूर करती हैं.