
पुंछ एनकाउंटर: एक ऐसा ऑपरेशन जिसमें सवाल ज़्यादा हैं और जवाब कम
BBC
चार हफ़्तों तक पुंछ में भारतीय सेना ने चरमपंथियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन चलाया. ऑपरेशन में नौ सैनिक मारे गए लेकिन एक भी चरमपंथी हाथ नहीं लगा. क्या है इसकी वजह?
"हमारे मन में जो सवाल हैं वो वैसे ही बने हुए हैं. हम तो ये भी सोच रहे थे कि वहां जाएं और देखें कि क्या हो रहा है. लेकिन वहां जाने की इजाज़त नहीं है. ये बात अजीब ज़रूर है कि इतने दिनों तक एनकाउंटर चला लेकिन न कोई हमलावर पकड़ा गया, न ही कोई मारा गया. इस एनकाउंटर के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए थी. सरकार क्यों हमें कुछ नहीं बता रही?"
ये कहना है दिलबाग़ सिंह का जो 11 अक्तूबर को जम्मू-कश्मीर के पुंछ ज़िले में चरमपंथियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए भारतीय सेना के सिपाही गज्जन सिंह के फूफा हैं. पुंछ के सुरनकोट इलाके के जंगलों में हुई इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के एक नायब सूबेदार सहित पांच सैनिकों की मौत हुई थी.
दो दिन बाद 14 अक्टूबर को इसी इलाके के नज़दीक मेंढर में एक अन्य मुठभेड़ में एक जूनियर कमीशंड ऑफिसर सहित भारतीय सेना के चार और जवान मारे गए थे. कुल मिलाकर भारतीय सेना के नौ सैनिक इन मुठभेड़ों में मारे गए लेकिन किसी भी चरमपंथी के पकड़े या मारे जाने के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.
11 अक्टूबर की मुठभेड़ में मारे गए भारतीय सेना के नायक मनदीप सिंह के चचेरे भाई गुरविंदर सिंह कहते हैं, "परिवार के ज़हन में बहुत सारे सवाल हैं. हर वक़्त घर पर यही बात चलती है कि आखिर ऐसा हुआ कैसे. सरकार और सरकारी एजेंसियां पूरी जानकारी तो देती नहीं हैं. ये हादसा होने के बाद भी एनकाउंटर तो चलता ही गया. इस बारे में हमारे मन में जो सवाल हैं वो तब तक नहीं जाएंगे जब तक हमें उनका जवाब न मिल जाए."
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