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पीएम मोदी 'इंटरनेट शटडाउन' पर क्या दोहरी बातें कर रहे हैं?
BBC
एक तरफ़ भारत जी-7 सम्मेलन में 'ओपन सोसायटीज़ स्टेटमेंट' पर दस्तख़त करता है, दूसरी तरफ़ भारत इंटरनेट शटडाउन के मामले में दुनिया का नंबर 1 देश है. क्या ये सरकार का दोहरा रवैया है?
क्या आपको दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन याद है? अगस्त, 2020 में शुरू हुआ ये आंदोलन इस साल की शुरुआत में चरम पर था और अब भी जारी है. इस दौरान कई ऐसे मौक़े भी आए, जब सरकार को इंटरनेट पर बैन लगाना पड़ा. भारत में ये कितना ज़्यादा होता है? इसे यूं समझिए कि इंटरनेट शटडाउन का लेखा-जोखा रखने वाली वेबसाइट्स ने दावा किया कि 2021 के पहले 40 दिनों में ही सरकारें कम से कम 10 बार इंटरनेट बैन कर चुकी हैं. फिर जब 2 फ़रवरी को इंटरनेशनल पॉप स्टार रिहाना ने ट्वीट किया कि 'किसान आंदोलन और इंटरनेट शटडाउन के बारे में बात क्यों नहीं हो रही है', तो जमकर हल्ला हुआ. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 'सिलेब्रिटीज़ के आरोप सही नहीं हैं और उन्हें ज़िम्मेदारी से ट्वीट करने चाहिए.' इंटरनेट शटडाउन का ज़िक्र इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि 2021 के जी-7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'ओपन सोसायटीज़ स्टेटमेंट' पर दस्तख़त किए हैं. इसमें लिखा है कि 'राजनीति से प्रेरित इंटरनेट शटडाउन लोकतंत्र और आज़ादी के लिए ख़तरा है.' हालांकि, इस पर साइन करते हुए मोदी अपनी आपत्तियां जताना भी नहीं भूले कि 'दुष्प्रचार और साइबर हमले' इस राह में बड़ी चुनौतियां हैं.More Related News