पीएमओ के चुनाव सुधारों पर चुनावों आयुक्तों के साथ बातचीत पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा
The Wire
चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को क़ानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.
नई दिल्ली: मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्तों-राजीव कुमार तथा अनूप चंद्र पांडे द्वारा प्रमुख चुनाव सुधारों को लेकर निर्वाचन आयोग एवं कानून मंत्रालय के बीच परस्पर समझ को समान बनाने के लिए हाल में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के साथ एक अनौपचारिक बातचीत करने का मामला सामने आया है.
दरअसल बीते 15 दिसंबर को चुनाव आयोग को कानून मंत्रालय (चुनाव आयोग का प्रशासनिक मंत्रालय) के एक अधिकारी से एक पत्र मिला था, जिसमें कुछ ‘असामान्य’ शब्दों का इस्तेमाल किया गया था.
इस पत्र में कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा आम मतदाता सूची को लेकर एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें.
यह पत्र ‘असामान्य’ इसलिए था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है. बीते साल इसी विषय पर 13 अगस्त और तीन सितंबर को हुई बैठकों में चुनाव आयोग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था न कि चुनाव आयुक्तों ने.