पिता की असमय मौत से टूटा हौसला पर नहीं मानी हार, SDM बन पूरा किया सपना
AajTak
Success Story: प्रवीण के पिता का सपना था कि उनका बेटा पढ़ लिखकर उनसे बड़ा अधिकारी बने. पिता की मौत के बाद प्रवीण उनका सपना पूरा करने के लिए पढ़ाई में लगे रहे और महज 28 साल की उम्र में UPPSC का एग्जाम पास कर SDM बन गए.
UPSSSC Topper: प्रयागराज के ट्रांसपोर्ट नगर के रहने वाले प्रवीण द्विवेदी ने UPPSC एग्जाम में 6वीं रैंक हासिल की है. उन्होंने बिना कोचिंग खुद से पढ़ाई कर यह कामयाबी पाई. प्रवीण मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. उनके पिता स्वर्गीय राजेश चंद्र द्विवेदी, यूपी के फतेहपुर में सिंचाई विभाग में एक नलकूप चालक के पद पर तैनात थे. राजेश चंद्र की हार्टअटैक से मौत के बाद पूरा परिवार बिखर सा गया था जिसका असर uppsc की तैयारी कर रहे प्रवीण के पढ़ाई पर भी पड़ा.
पिता के देहांत के बाद पूरा परिवार फतेहपुर से प्रयागराज के ट्रांसपोर्ट नगर में शिफ्ट हो गया था. पिता की जगह उनके बड़े भाई सिंचाई विभाग में नौकरी करने लगे और फिर से परिवार पिछली जिंदगी को भूल नई जिंदगी की दौड़ में शामिल हो गया. प्रवीण अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए पढ़ाई में लगे रहे और महज 28 साल की उम्र में UPPSC का एग्जाम पास कर SDM बन गए.
प्रवीण के पिता का सपना था कि उनका बेटा पढ़ लिखकर उनसे बड़ा अधिकारी बने. सबसे खास बात यह है कि प्रवीण की पढ़ाई बिना कोचिंग के हुई है. हालांकि, वह अपने पिता के दर्द को आज भी नहीं भूल पा रहे हैं. प्रवीण पहले 6 महीने तक अपने पिता की मौत के सदमे से उबर नहीं पाए थे, लेकिन 6 महीने के बाद वह अपने पिता के सपने को पूरा करने में जुट गए. इसका नतीजा रहा की UPPSC एग्जाम पास कर 6वी रैंक हासिल की.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?
महाराष्ट्र में तमाम सियासत के बीच जनता ने अपना फैसला ईवीएम मशीन में कैद कर दिया है. कौन महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री होगा इसका फैसला जल्द होगा. लेकिन गुरुवार की वोटिंग को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जनता के बीच चुनाव को लेकर उत्साह की है. जहां वोंटिग प्रतिशत में कई साल के रिकॉर्ड टूट गए. अब ये शिंदे सरकार का समर्थन है या फिर सरकार के खिलाफ नाराजगी.