पिछले डेढ़ साल से प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्र प्रदर्शन के लिए क्यों मजबूर हैं
The Wire
सिविल सेवा और अन्य सरकारी परीक्षाओं की तैयारी का गढ़ माने जाने वाले दिल्ली के मुखर्जी नगर में छात्र प्रदर्शन के साथ क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं. इनकी मुख्य मांग है कि इन्हें सिविल सेवा परीक्षा में अतिरिक्त मौका दिया जाए. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफ़नामा दाख़िल कर कहा है कि ऐसा करना संभव नहीं है.
नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी की वजह से लगे लॉकडाउन की मार देश के छात्र-छात्राओं पर भी पड़ी है. इन छात्रों को कोरोना संबंधित समस्याओं के साथ-साथ कई तरह की प्रशासनिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है. A delegation of UPSC aspirants met me recently and shared their serious concerns. संवेदनशीलता तो कहती है कि सरकार मुख़र्जी नगर(दिल्ली) में धरना पर बैठे UPSC/SSC/RAILWAYS/ARMY के छात्रों की मांग को सुनते हुए COVID की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के सन्दर्भ में छात्रों को 2 Year Age Relaxation& 2 Extra Attempt फौरी तौर पर देना चाहिए.#2CompensatoryAttempt4All
ऐसे में लगभग डेढ़ साल से प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं ने अपनी मांगों के साथ पुरजोर तरीके से विरोध का बिगुल बजा दिया है. GOI must find a viable solution in dialogue with all stakeholders so that time and opportunities lost during the 2 years of pandemic don’t cost our youth their future. #JusticeForStudents — Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) March 20, 2022
ये छात्र तीन मार्च से सिविल सेवा और अन्य सरकारी परीक्षाओं की तैयारी का गढ़ माने जाने वाले दिल्ली के मुखर्जी नगर में नियमित तौर पर 24 घंटे प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही रोटेशन के आधार पर भूख हड़ताल भी की जा रही है, ताकि सरकार के कानों तक इनकी आवाज पहुंच सके. — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 22, 2022
इस धरने में सभी प्रतियोगी परीक्षाओं- यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, सेना, नौसेना की तैयारी कर रहे छात्र शामिल हैं. ये छात्र ‘कॉम्पेनसेंट्री अटैम्प्ट फॉर ऑल’ की मांग कर रहे हैं, यानी सभी भर्ती परीक्षाओं में इन्हें दो मौके दिए जाएं और इसके साथ ही दो साल उम्र में छूट भी दी जाए. इसके अलावा परीक्षाओं में पारदर्शिता एक बड़ा मुद्दा है.