पिछड़े वर्गों की जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
The Wire
शीर्ष अदालत में केंद्र की दलील ऐसे समय में आई है, जब उसे विपक्षी दलों और यहां तक कि जदयू जैसे उसके सहयोगियों से जातिगत जनगणना की मांग लगातार की जा रही है. बीते 20 जुलाई को लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने फैसला किया है कि जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति-वार आबादी की गणना नहीं की जाएगी.
केंद्र का रुख इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हाल में बिहार से दस दलों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और जाति आधारित जनगणना कराए जाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं.
महाराष्ट्र की एक याचिका के जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया.
महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की है और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद उसे यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.