![पाश की कविता में स्वप्न और संघर्ष का स्थाई भाव है… वे सपनों को जिलाए रखते हैं](https://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2023/03/Paash-Khwaab-Tanha-Poster.jpg)
पाश की कविता में स्वप्न और संघर्ष का स्थाई भाव है… वे सपनों को जिलाए रखते हैं
The Wire
विशेष: क्रांतिकारी सपने देखता है. वह उसे विचार व कर्म की आंच में पकाता है. वह शहीद होकर भी संघर्ष की पताका को गिरने नहीं देता. उसे अपने दूसरे साथी के हाथों में थमा देता है. शहीद भगत सिंह ने जिस आज़ाद भारत का सपना देखा था, पाश उसे अपनी कविता में विस्तार देते हैं.
‘भगत सिंह ने पहली बार पंजाबजंगलीपन, पहलवानी व जहालत सेबुद्धिवाद की ओर मोड़ा थाजिस दिन फांसी दी गईउनकी कोठरी में लेनिन की किताब मिलीजिसका एक पन्ना मुड़ा हुआ थापंजाब की जवानी कोउसके आखिरी दिन सेइस मुड़े पन्ने से बढ़ना है आगे, चलना है आगे’ ‘हर किसी को नहीं आते बेजान बारूद के कणों में सोई आग के सपने नहीं आते.. शेल्फ में पड़े इतिहास के ग्रंथों को सपने नहीं आते सपनों के लिए लाजमी है झेलने वाले दिलों का होना नींद की नजर होनी लाजमी है सपने इसलिए हर किसी को नहीं आते’
ये काव्य पंक्तियां पंजाबी के क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश की हैं. भगत सिंह को जब फांसी के लिए ले जाया जा रहा था, उस वक्त वे अपनी काल कोठरी में लेनिन की किताब पढ़ रहे थे. फांसी के लिए जाने से पहले उन्होंने किताब के उस पन्ने को, जहां वे पढ़ रहे थे, मोड़ दिया था. पाश ने इस परिघटना को आजादी के संघर्ष को जारी रखने की प्रेरणा के रूप में लिया और अपनी कविता में इसे व्यक्त किया.
23 मार्च शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का शहीदी दिवस है. इन तीन नौजवान क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. इस घटना के 57 साल बाद 23 मार्च 1988 को पंजाब के प्रसिद्ध क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह पाश को आतंकवादियों ने अपनी गोलियों का निशाना बनाया.
उनका असली नाम अवतार सिंह संधू था. पाश का जन्म नौ सितंबर 1950 को जालंधर जिले की नकोदर तहसील में तलंबंडी सलेम गांव में हुआ था. पाश के पिता भारतीय सेना में सेवा करते हुए मेजर के पद से रिटायर हुए थे. बीए की डिग्री लेकर पाश ने अपने ही गांव में स्कूल खोला और पत्रकारिता भी करते रहे.