पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल से कैसे चौपट हो रही है उसकी अर्थव्यवस्था?
BBC
जानकारों का कहना है कि इस समय सरकार का ध्यान आर्थिक फ़ैसलों से हट गया है. यदि नीचे कोई फ़ैसले लिए भी जा रहे हैं, तो उन्हें मंज़ूरी देने वाली सबसे बड़ी संस्था संघीय कैबिनेट की बैठक कई हफ़्तों से नहीं हो रही है, जिसके चलते इन फ़ैसलों पर अमल होने में देरी हो रही है.
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने के विपक्ष के एलान के बाद से देश का राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है.
सरकार और विपक्ष के बीच इस सियासी मुक़ाबले को कौन जीतेगा, इसे बता पाना अभी तो काफ़ी मुश्किल है, लेकिन जानकारों का मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था पर इस तनाव का काफ़ी नकारात्मक असर हो रहा है.
जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ हफ़्तों की राजनीतिक अस्थिरता ने एक तरफ़ शेयर बाज़ार को बुरी तरह प्रभावित किया है, वहीं दूसरी तरफ़ पाकिस्तानी रुपये की क़ीमत भी इससे प्रभावित हुई है. लेकिन इस पूरी स्थिति का सबसे ज़्यादा नकारात्मक असर देश के लिए आर्थिक फ़ैसला लेने वाले विभाग पर पड़ रहा है, जो अभी उलझन में है.
इस्लामाबाद स्थित आर्थिक मामलों के एक वरिष्ठ पत्रकार ख़लीक़ कयानी का कहना है कि सरकार का ध्यान आर्थिक फ़ैसलों से हट गया है. यदि निचले स्तर पर कोई फ़ैसले हो भी रहे हैं, तो उन्हें मंज़ूरी देने वाली सबसे बड़ी संस्था संघीय कैबिनेट की बैठक पिछले कई हफ़्तों से नहीं हो रही है, जिसके चलते इन फ़ैसलों पर अमल होने में देरी हो रही है.
दूसरी तरफ़, सातवीं समीक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के साथ भी उसकी बातचीत चल रही है.