पाकिस्तान में पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को बताया गया था 'हराम' और 'गुनाह', जानिए कैसे संभव हुआ IVF का सफर
ABP News
दस मौलवियों ने मोर्चा संभालते हुए इसे 'हराम' और 'अमेरिकी साजिश' तक बता डाला. आईवीएफ तकनीक के चैंपियन डॉक्टर राशिद लतीफ थे.1984 में पहली बार पाकिस्तान के लाहौर में आईवीएफ सेंटर की स्थापना की गई.
पाकिस्तान में हर पांच में से एक जोड़ा प्राकृतिक तरीके से बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं है. बच्चे पैदा करने की क्षमता से महरूम होने को बांझपन कहा जाता है. बांझपन से पीड़ित लोगों में तकनीक ने उदासी को भुलाने का अवसर दे दिया है. बांझ लोगों के बीच इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) इलाज काफी लोकप्रिय हो रहा है लेकिन पाकिस्तान को पहली बार आईवीएफ से परिचय कराने वाले डॉक्टर राशिद लतीफ का सफर आसान नहीं था. उनकी सख्त आलोचना हुई और काफी बुरा-भला कहा गया. यहां तक कि दस मौलवियों ने मोर्चा संभालते हुए 'हराम' और 'अमेरिकी साजिश' तक बता डाला. डॉक्टर राशिद लतीफ ने बांझपन को दूर करने के लिए 1984 में पाकिस्तान के पहले आईवीएफ सेंटर 'लाइफ' की स्थापना लाहौर में की. आज पाकिस्तान में हर साल हजारों बच्चे आईवीएफ़ तकनीक की मदद से पैदा हो रहे हैं, लेकिन जब उन्होंने पाकिस्तान में तकनीक को लाने की सोचा, उस समय पूरी दुनिया में संसाधन और जागरुकता का अभाव था.More Related News