
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय की आबादी बहुत तेज़ी से घट रही है, आखिर क्यों?
BBC
पाकिस्तान का संविधान अहमदिया लोगों को मुसलमान नहीं मानता हैं. लाखों की आबादी वाले इस समूह के लोगों की संख्या पाकिस्तान में लगातार घट रही है. आखिर क्या है वजह?
प्रांतीय राजधानी पेशावर के बाहरी इलाक़े बाज़ी ख़ेल में दोपहर का समय था. सब कुछ आम दिनों के मुताबिक़ चल रहा था कि एक निजी क्लिनिक में 16-17 साल का लड़का दाख़िल हुआ और अजीब सी नज़रों से इधर उधर देखता रहा. जब स्टाफ़ ने उस लड़के से पूछा कि क्या काम है, तो उसने जवाब दिया, कि 'मैं मरीज़ हूं. मुझे बड़े डॉक्टर से दवा लेनी है.'
वो 'बड़े डॉक्टर' डॉक्टर अब्दुल क़ादिर थे, वो इबादत (प्रार्थना) पूरी करके क्लिनिक में स्थित अपने कैबिन में आकर बैठे ही थे. युवक उनके कमरे में घुसा और पिस्टल निकालकर फ़ायरिंग शुरू कर दी. अपने ही ख़ून से लथपथ डॉक्टर अब्दुल क़ादिर वहीं ढेर हो गए.
ये घटना पिछले साल 11 फ़रवरी की है. डॉक्टर अब्दुल क़ादिर के बेटे के अनुसार, उनके पिता को पास के एक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका, लेकिन हमलावर को अस्पताल के गार्ड्स ने पकड़ लिया.
साल 2021 में, डॉक्टर अब्दुल क़ादिर अहमदिया समुदाय से संबंध रखने वाले चौथे ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें टारगेट किलिंग का निशाना बनाया गया.
अहमदिया समुदाय पर हमलों की इस लहर के बाद, कई अहमदिया परिवार पेशावर से पलायन कर गए हैं, इनमें से कुछ पाकिस्तान के अन्य शहरों में चले गए और कुछ विदेश चले गए हैं.