
पाकिस्तान ने 1971 में स्वतंत्र बांग्लादेश की मुहिम को कैसे रिपोर्ट किया था?
BBC
साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में जो कुछ हुआ, उसे पाकिस्तान में 'गृहयुद्ध' या अलगाववादी आंदोलन कहा गया, जबकि बांग्लादेश में इसे 'स्वतंत्रता संग्राम' बताया गया. पाकिस्तानी अख़बारों ने इसे कैसे कवर किया था?
साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में जो कुछ हुआ, उसे बताने के लिए दो तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है. पाकिस्तान में इसे 'गृहयुद्ध' या अलगाववादी आंदोलन कहा गया, जबकि बांग्लादेश में इसे 'स्वतंत्रता संग्राम' बताया गया.
ऐसे में सवाल उठता है कि तब के पश्चिमी पाकिस्तान के अख़बार इस हालात को कैसे कवर कर रहे थे? यह सवाल वैसे तो कोई बड़ा पिटारा तो नहीं खोलता, लेकिन तब के अख़बारों को देखने पर एक दिलचस्प स्थिति ज़रूर सामने आती है.
बांग्लादेश के नज़रिए से 7 मार्च, 1971 का दिन बड़ा अहम है. 1970 के चुनावों में सबसे बड़ी बनकर उभरने वाली पार्टी के नेता के रूप में शेख़ मुजीब-उर-रहमान ने इसी दिन सरकार को एक अल्टीमेटम दिया था कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 'अलगाव' तय है.
ढाका के पलटन मैदान में हुए इस भाषण के बारे में कहा जाता है कि उस दिन वहां 10 लाख से अधिक लोग शामिल हुए थे. सभा में शामिल होने वालों की वास्तविक संख्या जो भी हो, यह एक संगठित सभा थी, जिसमें मंच तक पहुंचने के लिए एक विशेष रास्ता बनाया गया था.