पाकिस्तान तालिबान को लेकर बढ़ा सकता है भारत का संशय
BBC
यूएनएससी के प्रस्ताव में तालिबान का नाम पाँच बार लिया गया लेकिन एक बार भी निंदा नहीं की गई. बल्कि ये कहा गया कि तालिबान अफ़ग़ानिस्तान से लोगों को सुरक्षित निकालने को लेकर प्रतिबद्ध है.
अफ़ग़ानिस्तान की कमान तालिबान के हाथ में आने पर सवाल उठ रहे हैं कि अफ़ग़ानिस्तान के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व का क्या होगा? साउथ एशिया असोसिएशन फ़ॉर रीजनल कोऑपेशन यानी सार्क में अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत क्या करेगा. सार्क की अगली बैठक पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में होनी है. कई विशेषज्ञों का कहना है कि अफ़ग़ानिस्तान की सदस्यता तालिबान के नेतृत्व में बनने वाली सरकार पर निर्भर करेगा. देखा जाएगा कि सरकार किस हद तक समावेशी है. इस बार पाकिस्तान सार्क की मेज़बानी कर रहा है, इसलिए अफ़ग़ानिस्तान को आमंत्रित करने की ज़िम्मेदारी उसी की है. मंगलवार को क़तर की राजधानी दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबान के प्रतिनिधि की मुलाक़ात के बाद संकेत मिल रहे हैं कि मोदी सरकार तालिबान पर अपनी नीति की समीक्षा करने के लिए तैयार है. अब ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि तालिबान भारत को अपने लिए कितना अहम समझता है और भारत तालिबान को किस हद तक अहम मानता है.More Related News