
पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान को झटका, नहीं लड़ सकेंगे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर पद का चुनाव
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पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. ब्रिटेन की एक प्रमुख कानूनी फर्म ने बताया कि चूंकि वे जेल में हैं, इसलिए यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार वे ऑक्सफोर्ड चांसलर पद के लिए अयोग्य हैं.
जेल में बंद पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को एक और बड़ा झटका लगा है. कारण, ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने उनके नाम को चांसलर पद की उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल नहीं किया है. इस लिस्ट में करीब 40 उम्मीदवारों को शामिल किया गया है, जिनकी उम्मीदवारी को मंजूरी मिल गई है. इस लिस्ट में कई भारतीय मूल के लोग भी शामिल हैं. इनमें बर्कशायर में ब्रैकनेल फॉरेस्ट के पहले भारतीय मूल के मेयर अंकुर शिव भंडारी, अंतर्राष्ट्रीय उद्यमिता के प्रोफेसर निरपाल सिंह पॉल भंगाल और चिकित्सा पेशेवर प्रतीक तरवाडी शामिल हैं.
दरअसल, इमरान खान ने इस पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. ब्रिटेन की एक प्रमुख कानूनी फर्म ने बताया कि चूंकि वे जेल में हैं, इसलिए यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार वे ऑक्सफोर्ड चांसलर पद के लिए अयोग्य हैं.
लिस्ट प्रकाशित करने के बाद यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "पहले दौर के मतदान में मतदाताओं को जितने चाहें उतने उम्मीदवारों को रैंक करने का अवसर मिलेगा. शीर्ष 5 उम्मीदवार दूसरे दौर में जाएंगे, जो माइकलमास टर्म (18 नवंबर से शुरू होने वाला हफ्ता) के 6वें हफ्ते के दौरान होगा. माइकलमास टर्म में नए चांसलर का चुनाव करने के लिए दीक्षांत समारोह में कहा जाएगा."
यूनिवर्सिटी इस चुनाव को अपने सहकर्मियों और पूर्व छात्रों के वैश्विक समुदाय के लिए सुलभ बनाने के लिए ऑनलाइन कराएगी. यूनिवर्सिटी ने कहा, "मतदान का पहला दौर माइकलमास टर्म (28 अक्टूबर से शुरू होने वाला हफ्ता) के तीसरे हफ्ते के दौरान होगा. इस समय कोई और मतदाता पंजीकरण संभव नहीं है."
उम्मीदवारों के बयान यूनिवर्सिटी की राय नहीं: ऑक्सफोर्ड
ऑक्सफोर्ट ने कहा कि पहली बार विभिन्न पृष्ठभूमियों से आवेदकों को आकर्षित करने के लिए एक खुली आवेदन प्रक्रिया लाई गई है. चांसलर की चुनाव समिति ने सभी आवेदनों पर केवल यूनिवर्सिटी के नियमों में निर्धारित विशिष्ट बहिष्करण मानदंडों पर विचार किया है. उम्मीदवारों के हित के बयानों को ठीक उसी तरह से पुन: प्रस्तुत किया गया है जैसा कि प्रस्तुत किया जाना चाहिए. उनके शब्द और विचार उनके अपने हैं. उम्मीदवारों के बयान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की राय को नहीं दर्शाते हैं और विश्वविद्यालय उनकी तथ्यात्मक सटीकता की गारंटी नहीं दे सकता है.

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