
पाकिस्तान के इतिहास में लॉन्ग मार्च की सफलता और विफलता की कहानी
BBC
इमरान ख़ान ने कहा है कि उन्हें और पार्टी कार्यकर्ताओं को जब तक इस्लामाबाद में रहना पड़े, रहेंगे. उनकी मांग है कि जल्द आम चुनावों की तारीख़ दी जाए और असेंबलियां भंग की जाएं.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिये सत्ता से बेदखल होने के बाद सरकार पर जल्द चुनाव के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं.
रविवार शाम को उन्होंने "पूरे देश" से 25 मई को देश की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचने का आह्वान किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह ख़ुद ख़ैबर पख़्तूनख़्वा से 'वास्तविक स्वतंत्रता मार्च' का नेतृत्व करते हुए इस्लामाबाद के श्रीनगर (कश्मीर) हाईवे पहुंचेंगे.
हालांकि पाकिस्तान सरकार ने राजधानी में मार्च को रोकने का फ़ैसला किया है. पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि " दंगा-फ़साद रोकने के लिए लॉन्ग मार्च पर रोक लगाई गई है."
वहींइस संबंध में मंगलवार को हुई एक बैठक के बाद मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि इस तरह के रणनीति से अर्थव्यवस्थआ को नुक़सान पहुंचता है और इसका असर मज़दूरों पर पड़ता है.