पाकिस्तान की अदालत ने खत्म किया राजद्रोह कानून... जानें-भारत में कहां तक पहुंची बात
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पाकिस्तान और भारत, दोनों ही जगह पीनल कोड में धारा-124 A है जो राजद्रोह को अपराध बनाती है. पाकिस्तान की लाहौर हाईकोर्ट ने इस धारा को रद्द कर दिया है. भारत में भी धारा 124 A को रद्द करने की मांग उठती रहती है. हालांकि, बीते साल सरकार ने साफ कर दिया था कि वो इस कानून में आज की जरूरत के हिसाब से बदलाव करेगी.
अंग्रेजों के जमाने के राजद्रोह कानून को पाकिस्तान की एक अदालत ने रद्द कर दिया है. लाहौर हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. जस्टिस शाहिद करीम ने पाकिस्तान पीनल कोड (PPC) की धारा 124-A के तहत राजद्रोह के अपराध को रद्द कर दिया.
हारून फारूक नाम के व्यक्ति ने याचिका दायर कर इस धारा को रद्द करने की मांग की थी. उन्होंने याचिका में कहा था कि राजद्रोह का विवादित कानून मूल रूप से थॉमस मैकॉले ने तैयार किया था. पर बाद में 1860 में इंडियन पीनल कोड लागू होने पर इसे हटा दिया गया था. लेकिन 1870 में फिर से आईपीसी में संशोधन कर इस धारा को जोड़ा गया. उन्होंने कहा कि उस समय असंतोष की आवाज को दबाने के लिए कठोर कानून बनाए गए थे.
सुनवाई के दौरान दलीलें सुनने के बाद लाहौर हाईकोर्ट ने इस कानून को संविधान के तहत नागरिकों को मिले मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए रद्द कर दिया.
याचिका में कहा गया था कि इस कानून का इस्तेमाल असहमति, अभिव्यक्ति की आजादी और आलोचना को दबाने के हथियार के रूप में किया जाता है. इसमें ये भी कहा गया था कि बीते कुछ सालों में कई राजनेताओं, पत्रकारों और एक्टिविस्ट के खिलाफ धारा 124-A के तहत केस दर्ज किया गया है. कुल मिलाकर याचिकाकर्ता ने धारा 124-A के दुरुपयोग की बात कही थी.
क्या है धारा 124-A?
हालांकि, सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत में भी राजद्रोह के कानून के दुरुपयोग की बात होती रहती है. पाकिस्तान की तरह ही भारत में भी इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) में धारा 124-A है, जो राजद्रोह को अपराध बनाती है.
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