पाकिस्तान: इमरान ख़ान के भाषण में अमेरिका का जिक्र क्या महज एक ग़लती थी?
BBC
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने गुरुवार को अपने भाषण में अमेरिका का नाम लिया और पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दख़ल देने के आरोप लगाए.
इमरान ख़ान ने गुरुवार को अपने 50 मिनट के संबोधन में अपने ख़िलाफ़ कथित विदेशी साज़िशों का ज़िक्र किया और इस दौरान वो 'ग़लती' से अमेरिका का नाम ले बैठे.
इससे पहले हुक़ूमत के किसी भी बड़े अधिकारी ने खुले तौर पर अमेरिका का नाम नहीं लिया था.
प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर एक तूफ़ान सा खड़ा हो गया. जहां उनके समर्थकों ने इमरान ख़ान की तारीफ़ों के पुल बांध दिए, वहीं उनके आलोचकों का कहना था कि उन्हें अपने भाषण के लिए तैयारी करके आना चाहिए था.
अपने संबोधन में जिस जगह उन्होंने अमेरिका का नाम लिया, उससे पहले उन्होंने एक लंबी सांस ली थी और फिर बात करते हुए कहा था, "मैं आज जो आपके पास सारी बातें करने इसलिए आया हूं, अभी हमें आठ मार्च, सात मार्च को हमें अमेरिका ने, अमेरिका ने एक बाहर के मुल्क ने, मैं नाम... मतलब मेरा बाहर के किसी और मुल्क से हमें पैग़ाम आता है... कि ये किसी आज़ाद मुल्क के लिए हमें जिस तरह का पैग़ाम आया है, ये है तो सिर्फ़ प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ है लेकिन ये हमारी क़ौम के ख़िलाफ़ है."
यहां ये बता देना ज़रूरी है कि प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 27 मार्च को इस्लामाबाद की जनसभा में कहा था कि 'हमें लिखकर धमकी दी गई है.'